सार

विशेषज्ञों का दावा है कि मच्छर उन इंसानों को सबसे अधिक ओ ब्लड ग्रुप वालों को अधिक काटते हैं, जबकि ए ब्लड ग्रुप को सबसे कम और बी ब्लड ग्रुप वालों को सामान्य तौर पर काटते हैं। 

ट्रेंडिंग डेस्क। world mosquito day 2022: मानसून का मौसम है और सभी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। मगर ये बारिश अपने साथ कई बीमारियां भी लाता है। इनमें मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारियां भी शामिल हैं, मगर ये बीमारियां लाते हैं मच्छर, जो मानसून में तेजी से पनपते हैं। इन बीमारियों से अगर बचना है तो आपको सबसे पहले मच्छरों से बचना होगा। वे काटने नहीं पाएं, इसका ध्यान रखना होगा। साथ ही, फुल पैंट और फुल बांह की शर्ट पहनें, जिससे वे सीधे तौर पर आपकी त्वचा के संपर्क में नहीं आ सकें। मादा मच्छर अपने वजन का तीन गुना खून पी सकती है। 

हालांकि, यह भी दिलचस्प हैं कि कुछ लोगों को मच्छर बहुत काटते हैं, बाकि अन्य लोगों से ज्यादा। इसकी वजह भी है और वो भी बेहद खास। असल में विशेषज्ञों का दावा है कि कुछ लोगों की त्वचा ऐसी होती है, जिससे मच्छर उनकी ओर आकर्षित होते हैं। इनमें इंसान की त्वचा में रहने वाले बैक्टेरिया से निकलने वाला यूरिक एसिड, लैक्टिक एसिड और अमोनिया की महक भी मच्छरों को इंसानों के पास आने के लिए मजबूर कर देती है। जिन लोगों में पसीना अधिक होता है, उनके शरीर से ये चीजें रिलीज होती है और फिर मच्छर इनके आसपास मंडराते हैं। ऐसे में ये भी कहा जाता है कि जिन इंसानों को पसीना अधिक होता है, मच्छर उन्हें अधिक काटते हैं। 

ओ ब्ल्ड ग्रुप को सबसे ज्यादा और ए ग्रुप को सबसे कम काटते हैं मच्छर 
इसके अलावा, कुछ लोगों का खून भी ऐसा होता है, जिसे मच्छर ज्याादा पसंद करते हैं। जापान की एक रिसर्च टीम ये साबित कर चुकी है कि जिन लोगों का ब्लड ओ होता है, मच्छर उन्हें ही ज्यादा काटते हैं। ओ ब्लड ग्रुप वाले मच्छर के लिए मैग्नेट का काम करते हैं। वहीं, ए ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर कम काटते हैं। जिन लोगों का ब्लड ग्रुप बी होता है, उन्हें मच्छर सामान्य तौर पर काटते हैं। यानी न ज्याद और न ही कम। 

इंसानों के शरीर से निकलने वाले एसिड भी मच्छरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं 
विशेषज्ञ ये भी दावा करते हैं इंसानों को केवल मादा मच्छर ही काटती है। नर मच्छर नहीं काटते। मादा मच्छर की काटने की वजह उसके प्रजनन से जुड़ी है। मादा मच्छर इंसानों का खून चूसकर पोषक तत्व ग्रहण करती है और फिर अंडे देती है। इसके अलावा, मच्छरों को कॉर्बन डाई आक्साइड यानी Co2 की गंध भी अपनी ओर खींचती है। मादा मच्छर में इस गंध को पहचानने के खास शक्ति होती है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि इस गंध को करीब डेढ़ सौ फीट की दूरी से भी मादा मच्छर बड़ी आसानी से पहचान सकती है। 

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