सार
धर्म ग्रंथों के अनुसार, धन लाभ के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है। धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों और स्तुतियों की रचना की गई है। उन्हीं में से एक है श्रीसूक्त। मान्यता है कि श्रीसूक्त का पाठ करने से गरीब आदमी भी धनवान बन जाता है। श्रीसूक्त बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करने वाला है।
उज्जैन. श्री सूक्तम् देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित मंत्र हैं। इसे 'लक्ष्मी सूक्तम्' भी कहते हैं। यह सूक्त, ऋग्वेद के खिलानि के अन्तर्गत आता है। आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्लीत ये चार श्रीसूक्त के ऋषि हैं। इन चारों को श्री का पुत्र बताया गया है। श्रीपुत्र हिरण्यगर्भ को भी श्रीसूक्त का ऋषि माना जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, दीपावली (Diwali 2021) की रात अगर श्रीसूक्त का पाठ पूरी श्रद्धा से किया जाए तो मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और साधक को धन-संपत्ति प्रदान करती हैं। आगे जानिए श्रीसूक्त और उसके पाठ करने की विधि…
श्रीसूक्त
हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावह ।1।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।2।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।3।
कांसोस्मि तां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ।4।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् । तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे।5।
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।6।
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेस्मिन्कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।7।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुदमे गृहात् ।8।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ।9।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।10।
कर्दमेन प्रजाभूतामयि सम्भवकर्दम। श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।11।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीतवसमे गृहे। निचदेवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।12।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्। सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।13।
आर्द्रां यःकरिणीं यष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।14।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावोदास्योश्वान्विन्देयं पुरुषानहम् ।15।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ।16।
पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे। तन्मेभजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ।17।
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे ।18।
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधत्स्व ।19।
पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्। प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे ।20।
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः। धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते ।21।
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा। सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः ।23।
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः। भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत् ।24।
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे। भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।25।
विष्णुपत्नीं क्षमादेवीं माधवीं माधवप्रियाम्। लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ।26।
महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।27।
श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते। धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ।28।
इस विधि से करें पाठ…
1. दिवाली की रात 12 बजे बाद साफ कपड़े पहनकर रेशमी लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की कमल पर बैठी मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
2. इसके बाद देवी लक्ष्मी को लाल फूल और पूजा की अन्य सामग्री जैसे- चंदन, अबीर, गुलाल, चावल आदि चढ़ाएं। खीर का भोग भी लगाएं।
3. इसके बाद श्रीसूक्त का पाठ करें। अगर संस्कृत में पाठ न कर पा रहे हो तो हिंदी में धीरे-धीरे श्रीसूक्त का पाठ करें।
4. पाठ के दौरान मां लक्ष्मी का ध्यान करते रहें। सबसे अंत में देवी लक्ष्मी की आरती उतारें।
5. इस प्रकार दिवाली की रात श्रीसूक्त का पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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