सार

भाद्रपद मास का तीसरा दिन विशेष फलदायी होता है, क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती के मंदिर में जाकर उन्हें भोग लगाने तथा विधि-विधान पूर्वक पूजा करने की परंपरा है।

उज्जैन. भाद्रपद मास के तीसरे दिन यानी भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि (इस बार 18 अगस्त, रविवार) विशेष फलदायी होती है, क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती के मंदिर में जाकर उन्हें भोग लगाने तथा विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन कजरी तीज का उत्सव भी मनाया जाता है।

कजरी तीज को सतवा तीज भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को फूल-पत्तों से सजे झूले में झुलाया जाता है। चारों तरफ लोक गीतों की गूंज सुनाई देती है।

कई जगह झूले बांधे जाते हैं और मेले लगाए जाते हैं। नवविवाहिताएं जब विवाह के बाद पहली बार पिता के घर आती है तो तीन बातों के तजने (त्यागने) का प्रण लेती है- पति से छल कपट, झूठ और दुर्व्यवहार और दूसरे की निंदा। मान्यता है कि विरहा अग्नि में तप कर गौरी इसी दिन शिव से मिली थी। इस दिन पार्वती की सवारी निकालने की भी परम्परा है। व्रत में 16 सूत का धागा बना कर उसमें 16 गांठ लगा कर उसके बीच मिट्टी से गौरी की प्रतिमा बना कर स्थापित की जाती है तथा विधि-विधान से पूजा की जाती है।

इस दिन ये उपाय करें-
1. कजरी तीज पर माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी, चूड़ियां, सिंदूर, मेहंदी, गुलाब के फूल व अन्य सुहाग की सामग्री अर्पित करें।

2. कजरी तीज पर माता पार्वती का अभिषेक केसर मिले जल से करें तो हर काम में सफलता मिलने के योग बढ़ सकते हैं।

3. देवी भागवत के अनुसार, देवी का अभिषेक यदि गाय के दूध से किया जाए तो सभी प्रकार के सुख मिल सकते हैं।

4. कजरी तीज पर सात कन्याओं को अपने घर भोजन करवाएं। भोजन में खीर जरूर होनी चाहिे। साथ ही कन्याओं को कुछ उपहार भी दें।

5. यदि किसी कन्या के विवाह का योग नहीं बन रहा हो तो कजरी तीज पर माता पार्वती को साबूत हल्दी की 11 गांठ अर्पित करें।

6. कजरी तीज पर 11 सुहागन महिलाओं को सुहाग की सामग्री जैसे- लाल चूड़ियां, मेहंदी, सिंदूर आदि भेंट करें।