सार

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एक माह में 2 बार एकादशी तिथि आती है शुक्ल व कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार साल में 24 एकादशी आती है। इन सभी का अपना विशेष महत्व है। अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) कहते हैं।

उज्जैन. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पाप खत्म हो जाते हैं और पूर्वजों को भी इससे मोक्ष मिलती है। इसलिए ये मोक्ष देने वाला व्रत माना जाता है। इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर, मंगलवार को है। जब भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था उस दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी इसलिए इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

क्या करें इस व्रत में
1.
एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा में भगवान के समक्ष धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें व योग्य व्यक्ति को दान करें। इस दिन गीता का पाठ अवश्य करें क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
3. मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि (13 दिसंबर, सोमवार) को दोपहर में एक बार ही भोजन करें। व्रत का पारणा यानी उद्यापन 15 दिसंबर, बुधवार को करें।

एकादशी व्रत की पौराणिक कथा
- गोकुल नगर में वैखानस नाम के राजा ने सपना देखा कि उसके पिता नरक में हैं। तब राजा विचलित हुआ। उसने विद्वान-योगी पर्वत मुनि को ये हाल सुनाया कि उसके पिता नरक से मुक्ति दिलाने की बात सपने में कह रहे हैं। 
- मुनि ने बताया कि उनसे पूर्व जन्म में पाप हुआ था जिससे उन्हें नरक में जाना पड़ा। उन्होंने राजा को मार्गशीर्ष एकादशी के व्रत का संकल्प लेकर व्रत करके उसका पुण्य पिता को देने के लिए कहा। जिससे उनके पिता की मुक्ति होगी। 
- राजा ने परिवार सहित एकादशी का व्रत किया। और उसका पुण्य पिता को अर्पण किया। इससे उसके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग जाते हुए पुत्र से बोले तेरा कल्याण हो। यह कहकर स्वर्ग चले गए। इसलिए मान्यता है कि इस व्रत से पूर्वजों को मुक्ति और स्वर्ग मिलता है।

 

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