सार
वास्तु शास्त्र में दिशाओं से दोष पर खास ध्यान दिया गया है। जिस दिशा में दोष होता है, उससे संबंधित अशुभ फल घर के मालिक और उसमें रहने वाले लोगों को भोगने पड़ते हैं। जब तक उस दोष का निराकरण नहीं किया जाता, तब तक समस्याएं बनी रहती हैं।
उज्जैन. आज हम आपको पूर्व दिशा के दोष से होने वाले नुकसान के बारे में बता रहे हैं। इन नुकसानों से बचने के लिए किसी योग्य वास्तु शास्त्री से सलाह अवश्य लेना चाहिए…
1. पूर्व दिशा में दोष या जन्मपत्री में सूर्य के पीड़ित होने पर पिता से सम्बन्धों में कटुता रहती है। पितृ दोष लगता है।
2. सरकार या शासन से परेशानी खड़ी हो सकती है। राज दंड का भय रहता है।
3. यदि सरकारी नौकरी है तो सरकारी नौकरी में परेशानी उत्पन्न हो सकती है। प्राइवेट नौकरी चली जाती है।
4. हृदय संबंधी कोई रोग, दिल का रोग हो जाता है, जैसे धड़कन का कम-ज्यादा होना।
5. चर्म रोग या स्कीन संबंधी कोई शिकायत हो सकती है या अस्थि रोग हो सकती है।
6. इस दिशा के दूषित होने से व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है। शरीर में अकड़न आ जाती है।
7. बार-बार पीलिया या ज्वर हो सकता है, क्षय रोग सम्भावना रहती है। मुंह एवं दांतों में तकलीफ हो जाती है।
8. पूर्व दिशा पिता का स्थान भी होता है इसलिए यदि पूर्व दिशा बंद, दबी और ढकी हो तो गृहस्वामी कष्टों से घिर जाता है।
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