कोरोना के बाद दुनिया में छाया 'काली मौत' का खतरा, डॉक्टर्स ने चेताया

वीडियो डेस्क। कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए एक और बुरी खबर हो सकती है। रूस की एक बड़ी डॉक्टर ने चेतावनी दी है कि अगर लोग ग्लोबल वार्मिंग को कम नहीं करेंगे तो दुनिया में ब्यूबोनिक प्लेग का खतरा बढ़ जाएगा। ब्यूबोनिक प्लेग यानि की ब्लैक डैथ या फिर काली मौत है।  

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वीडियो डेस्क। कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए एक और बुरी खबर हो सकती है। रूस की एक बड़ी डॉक्टर ने चेतावनी दी है कि अगर लोग ग्लोबल वार्मिंग को कम नहीं करेंगे तो दुनिया में ब्यूबोनिक प्लेग का खतरा बढ़ जाएगा। ब्यूबोनिक प्लेग यानि की ब्लैक डैथ या फिर काली मौत है। दुनिया में तीन बार हमला कर चुकी इस बीमारी की चपेट में पहले भी करोड़ों लोग आ चुके हैं। पहली बार 5 करोड़, दूसरी बार पूरे यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसारी बार 80 हजार लोगों की जान गई थी। डॉक्टर के अनुसार इस बीमारी के आने का खतरा इसलिए ज्यादा है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में रूस, चीन और अमेरिका में काली मौत के मामले सामने आए हैं। डॉ. अन्ना पोपोवा ने कहा कि इसका भयानक रूप अफ्रीका में देखने को मिल सकता है। ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic Plague) जिस बैक्टीरिया की वजह से होता है उसका नाम यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम (Yersinia Pestis Bacterium) है। यह बैक्टीरिया शरीर के लिंफ नोड्स, खून और फेफड़ों पर हमला करता है। इससे उंगलियां काली पड़कर सड़ने लगती है। ब्यूबोनिक प्लेग को गिल्टीवाला प्लेग भी कहते हैं। इसमें शरीर में असहनीय दर्द, तेज बुखार होता है। नाड़ी तेज चलने लगती है। ब्यूबोनिक ब्लेग सबसे पहले जंगली चूहों को होता है। चूहों के मरने के बाद इस प्लेग का बैक्टीरिया पिस्सुओं के जरिए मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके बाद जब पिस्सू इंसानों को काटता है वह संक्रामक लिक्विड इंसानों के खून में छोड़ देता है। बस इसी के बाद इंसान संक्रमित होने लगता है।

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