असम के रण में प्रियंका के रंग, कभी गले,कभी हंसी ठिठोली, महरून साड़ी और चाय की चुस्की तक में दिखा अंदाज

वीडियो डेस्क। असम में विधानसभा चुनाव हैं, वोटरों को रिझाने के लिए सभी पार्टियों के नेता रैलियां कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी असम में दो दिन के दौरे पर पहुंची। प्रियंका ने राज्य में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला । अपने दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को प्रियंका गांधी वाड्रा कुछ नये अंदाज में दिखीं। महरून रंग की बोडर वाली असम की साड़ी।

/ Updated: Mar 02 2021, 08:19 PM IST

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वीडियो डेस्क। असम में विधानसभा चुनाव हैं, वोटरों को रिझाने के लिए सभी पार्टियों के नेता रैलियां कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी असम में दो दिन के दौरे पर पहुंची। प्रियंका ने राज्य में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला । अपने दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को प्रियंका गांधी वाड्रा कुछ नये अंदाज में दिखीं। महरून रंग की बोडर वाली असम की साड़ी।  और साधारु में चाय बागान के कर्मचारियों के साथ चाय की पत्तियां तोड़ती प्रियंका गांधी वाड्रा। प्रियंका गांधी ने ना सिर्फ सिर पर टोकरी बांध एक एक पत्तीयां चुनी बल्कि काम करने वालीं मजदूर महिलाओं के साथ भी वक्त बिताया। प्रियंका गांधी वाड्रा के दौरे के कई फोटो और वीडियो ट्विटर पर शेयर हो रहे हैं। जिसमें में मजदूर महिलाओं के साथ चाय की पत्तियां चुनने से लेकर उनसे बात करने, गले लगाते और हंसी ठिठौली करते, सेल्फी लेते हुए  फोटो सामने आए हैं।  आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर असम में चाय बागान और मजदूर अहम चुनावी मुद्दा है। प्रियंका गांधी ने चाय बागानों में काम करने वाली महिलाओं को रोज 365 रुपये दिये जाने का वादा किया है।  असम में  126 सीटों के लिए 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल को तीन चरणों में मतदान होगा। 2 मई को चुनावों के नतीजे घोषित होंगे, जिसके चलते चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों ने अपनी दागत झोंक दी है। आपको ये भी बता दें कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर असम में चाय बागान और मजदूर अहम चुनावी मुद्दा है। प्रियंका गांधी ने अपने इस दौरे के बाद ट्वीट करके कहा, ‘’चाय बागान के श्रमिकों का जीवन सच्चाई और सादगी से भरा हुआ है।  उनका श्रम देश के लिए बहुमूल्य है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगे लिखा है कि  मैंने चाय बागान के श्रमिकों के संग बैठकर उनके कामकाज, घर परिवार का हालचाल जाना और उनके जीवन की कठिनाइयों को महसूस किया। मैं  चाय बागान के श्रमिकों से मिला प्रेम और ये आत्मीयता नहीं भूलूंगी।