सुशांत की मौत युवाओं के लिए सबक, हताश होने से नहीं मिलती मंजिल; म्यूजीशियन ने बताया ये सच

आखिर युवाओं में इतनी जल्दी जीवन से हताश होने वाली धारणा कैसे पनप रही है? इन्ही सब विषयों पर बात एशियानेट न्यूज हिन्दी ने जानी-मानी लोक गायिका, काउंसलर व 2016 में यूपी सरकार द्वारा यश भारती अवार्ड से सम्मानित डॉ शिवानी मातनहेलिया से बात किया। इस दौरान उन्होंने हमसे बताया कि कैसे युवा अपने जीवन का मूल्य नहीं समझते हैं और जल्द ही आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। 

/ Updated: Jun 23 2020, 03:47 PM IST

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लखनऊ(Uttar Pradesh). अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है। कुछ लोग इसे गलत कदम तो कुछ डिप्रेशन में आकर किया गया सुसाइड बता रहे हैं। वहीं फिल्म इंडस्ट्री के बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो इस घटना की वजह इंडस्ट्री में फैला परिवार वाद बता रहे हैं। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने तो इसे प्लांड मर्डर तक बता दिया। लेकिन इन सब के बीच सवाल ये है कि आखिर युवाओं में इतनी जल्दी जीवन से हताश होने वाली धारणा कैसे पनप रही है। इन्ही सब विषयों पर बात एशियानेट न्यूज हिन्दी ने जानी-मानी लोक गायिका, काउंसलर व 2016 में यूपी सरकार द्वारा यश भारती अवार्ड से सम्मानित डॉ शिवानी मातनहेलिया से बात किया। इस दौरान उन्होंने हमसे बताया कि कैसे युवा अपने जीवन का मूल्य नहीं समझते हैं और जल्द ही आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। उन्होंने बताया कि शुरू से ही हम बच्चों के ऊपर एक प्रेशर क्रिएट करते हैं कि तुम्हे आगे चलकर ये बनना है। उससे तमाम अपेक्षाएं रखते हैं लेकिन कभी ये जानने की जरूरत नहीं समझते कि आखिर वास्तव में उसकी इच्छा क्या है। वह अपने जिन्दगी में कौन सी मंजिल पाना चाहता है। छात्र जीवन से ही शिक्षा प्रणाली के वजह से कम्पटीशन का भाव पैदा हो जाता है और फिर जब वह बाद में औरों से पिछड़ता है तो फिर हीन भावना में आकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है।