फसलों को कीटनाशक बनाने के लिए किसानों को दी जा रही खास ट्रेनिंग, प्राकृतिक खेती की कार्यशाला का हुआ आयोजन

यूपी के जिले गोरखपुर में फसलों की कीटनाशक बनाने के लिए किसानों को खास ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए प्राकृतिक खेती की कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें बहुत ही सहज तरीके से जीवामृत और प्राकृतिक कीटनाशक बनाना सिखाया गया। 

/ Updated: Jun 18 2022, 05:53 PM IST

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गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के जिले गोरखपुर में फसलों को कीटनाशक बनाने के लिए किसानों को खास ट्रेनिंग दी जा रही है। दो दिवसीय प्राकृतिक खेती की कार्यशाला का आयोजन हुआ है। गोरक्षपीठ गौ आधारित प्राकृतिक खेती का निरंतर विस्तार कर रही है। इसी कारणवश गोरक्षपीठ में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान किसान को बहुत ही सहज तरीके से जीवामृत और प्राकृतिक कीटनाशक बनाना सिखाया गया। गोरक्षपीठ में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में किसानों को इन्ही बातों की जानकारी दी गई कि खुद जीवामृत व कीटनाशी किस प्रकार बनाया जाए। देसी गाय के गोबर व गोमूत्र से बना जीवामृत उन सूक्ष्म जीवाणुओं का महासागर है। जो खेतों की उर्वरा शक्ति को कई गुनी रफ्तार से बढ़ा देते हैं। 12 साल से गौ आधारित प्राकृतिक खेती के अभियान में जुटे आशीष कुमार सिंह ( प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक ) ने गोरक्षपीठ में आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को किसानों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि 200 लीटर जीवामृत एक एकड़ खेत के लिए संजीवनी समान है। जीवामृत बनाने के लिए देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, पानी, गुड़, चने की दाल का बेसन आदि मिलाया जाता है। तैयार घोल को सुबह शाम घड़ी की सूई की दिशा में मिलाया जाता है। इस कार्यशाला को लेकर कार्यक्रम के आयोजक ने क्या कुछ कहा आइए सुनाते है।