सार
क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से बारिश होने के सामान्य गति को बढ़ा दिया जाता है। इसके लिए बादलों में सीडिंग एजेंटों का इस्तेमाल किया जाता है।
दुबई। दुबई में बीते दिनों मंगलवार (16 अप्रैल) को हुई भारी बारिश ने शहर का माहौल बिगाड़ कर रखा दिया है। इसकी वजह से पूरे इलाके में बाढ़ आ गई है। लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भारी बारिश ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के बारे में चिंता भी पैदा कर दी। हालांकि, इस भीषण बाढ़ के पीछे जानकारों ने क्लाउड सीडिंग को जिम्मेदार ठहराया है। ये एक आर्टिफिशियल तरीका है, जिसकी मदद से बारिश कराई जाती है। इसका इस्तेमाल दुबई सरकार ने पानी की कमी से निपटने के लिए किया था।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में सालाना 200 मिलीमीटर से कम बारिश होती है। वहीं गर्मियों के दौरान तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की वजह से जल संसाधन में ज्यादा दबाव होता। इसकी वजह से देश को अंडरग्राउंड पानी पर निर्भर होना पड़ता है। इसी कमी को पूरा करने के चक्कर में UAE सरकार ने क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया, जिसकी सजा अब लोगों बाढ़ के रूप में भुगतनी पड़ रही है। इससे पहले भी दुबई के लोगों को भारी बारिश का सामना करना पड़ा था। उस वक्त भी शहर पूरी तरह से जलमग्न हो गया था।
क्या है क्लाउड सीडिंग तकनीक?
क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से बारिश होने के सामान्य गति को बढ़ा दिया जाता है। इसके लिए बादलों में सीडिंग एजेंटों का इस्तेमाल किया जाता है। ये प्रोसेस NCM में मौसम पूर्वानुमान कर्ताओं द्वारा वायुमंडलीय स्थितियों की निगरानी और रेन पैटर्न के आधार पर सीडिंग के लिए उपयुक्त बादलों की पहचान करने से शुरू होती है। इसका उद्देश्य बादलों के विकास को प्रोत्साहित करने और अंततः वर्षा बढ़ाने के लिए एक प्रभावी एजेंट की पहचान करना था।
एक बार जब सही बादलों की पहचान हो जाती है तो हाइग्रोस्कोपिक फ्लेयर्स से लोडेड विशेष विमान आसमान में ले जाते हैं। विमान के पंखों पर लगे इन फ्लेयर्स में नमक सामग्री मिले होते हैं। बादलों तक पहुंचने पर फ्लेयर्स को तैनात किया जाता है, जिससे क्लाउड सीडिंग एजेंट को बादल में छोड़ा जाता है। नमक के कण नाभिक के रूप में काम करते हैं. जिसके चारों ओर पानी की बूंदें मिली हो हैं। आखिर में इतनी भारी हो जाती हैं कि बारिश के रूप में गिरती हैं।
UAE में कब पहली बार किया गया था क्लाउड सीडिंग का परीक्षण
UAE ने पहली बार 1982 में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया था। इसके बाद साल 2000 के दशक की शुरुआत में अमेरिका के कोलोराडो में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCR), दक्षिण अफ्रीका में विटवाटरसैंड यूनिवर्सिटी समेत नासा के सहयोग से खाड़ी देशों में क्लाउड सीडिंग प्रोग्राम को बढ़ावा मिला था। अमीरात के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (NCM) और UAEREP इस कार्यक्रम का नेतृत्व करता है।
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