सार

मध्य-पूर्व के कई देशों को चीन आर्थिक रूप से सहयोग करता है। ईरान और सऊदी अरब दोनों देशों से वह तेल खरीदता है। अब कहा जा रहा है कि अपने इसी आर्थिक प्रभाव के चलते वह इस बेल्ट की कई समस्याएं सुलझाने में सहयोग कर सकता है।

Israel Hamas War : गाजा पर जिस तरह इजराइली सेना अटैक कर रही है, उसे लेकर कहा जा रहा है कि इसका असर न सिर्फ मध्य-पूर्व बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है। 7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हमले (Israel Hamas War) से पहले पश्चिम एशिया के हालात काफी अलग थे। हालांकि, इसके बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। इस युद्ध की आंच जहां दुनिया के बाकी देशों पर पड़ सकता है तो चीन (China) पर भी इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है। दरअसल, इस साल की शुरुआत में चीन ने ईरान और सऊदी अरब को नजदीक लाकर मध्य पूर्व में अपना प्रभाव बढ़ा लिया था। हालांकि, इस युद्ध से उसका यह प्रभाव कम हो सकता है। आइए जानते हैं ड्रैगन को इस वॉर से कितना नुकसान हो सकता है...

क्या इजराइल-हमास वॉर में मध्यस्थता कर सकता है चीन

मध्य-पूर्व के कई देशों को चीन आर्थिक रूप से सहयोग करता है। ईरान और सऊदी अरब दोनों देशों से वह तेल खरीदता है। अब कहा जा रहा है कि अपने इसी आर्थिक प्रभाव के चलते वह इस बेल्ट की कई समस्याएं सुलझाने में सहयोग कर सकता है। चीन ने तो इजरायल फिलिस्तीन के बीच शांति करवाने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव भी दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के इस रूख से लगता है कि वह मध्यपूर्व में खुद को अमेरिका के विकल्प की तरह पेश करने की कोशिश में जुटा हुआ है। हालांकि, इस युद्ध के शुरू होते ही पूरी तस्वीर ही बदल गई। ऐसे में ड्रैगन के अरमान युद्ध में धुल गए हैं।

इजराइल-हमास युद्ध में चीन किस ओर

चीन काफी समय से दो देश वाले विकल्प की पैरवी करता रहा है। 1960 और 1970 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन को चीन ने हथियार तक दिए थे। हालांकि, आज वह इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समझौते की मांग वाले प्रस्ताव का चीन ने समर्थन भी किया है। जब से इजराइल-हमास युद्ध शुरू हुआ है, तब से चीन का रूख बिल्कुल तटस्थ है। वह शांति स्थापित करने की बात कह रहा है। चीन का कहना है कि लंबे समय से चली आ रही इस समस्या का अंत स्वतंत्र फिलिस्तीन देश स्थापित कर किया जा सकता है। हालांकि, चीन के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपने हितों को देखते हुए तटस्थ है।

इजराइल हमास युद्ध से चीन को नुकसान

  • मध्य पूर्व से चीन के आर्थिक हित जुड़े हैं। ऐसे में इजराइल-हमास युद्ध का जो संकट है, उसमें अगर दूसरे देश भी शामिल हुए तो चीन को बड़ा झटका लग सकता है। उसके हित सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
  • चीन वर्तमान में सऊदी अरब, ईरान और इराक से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। उसका व्यापार अमेरिका के यहां से होने वाले व्यापार से 259 अरब डॉलर यानी 3 गुना ज्यादा है। साल 2021 में ही चीन ने सिर्फ इजराइल से ही 18 अरब डॉलर का व्यापार किया था।
  • जानकार मानते हैं कि चीन दुनिया का नेतृत्व करना की चाहत रखता है। वह अमेरिका के वर्चस्व को कम करने की कोशिश में लगा रहता है। यह उसके लिए एक मौका भी हो सकता है कि वह अमेरिका के विरोधियों का साथ देकर उनके साथ काम कर सके। इसलिए इस युद्ध से उसकी साख दांव पर लगी हुई है।
  • चीन यह भी दिखाना चाहता है कि अगर वह और अमेरिका साथ आ जाए तो दुनिया में इजराइल और हमास युद्ध जैसे संकट पर पश्चिम के साथी के तौर पर काम कर सकता है।

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