सार
इजराइल और ईरान के बीच 1979 की इस्लामी क्रांति से दुश्मनी चली आ रही है, बावजूद इसके कभी भी ईरान ने इजराइल पर सीधा सैन्य हमला नहीं किया था। यह पहली बार है जब सीधे तौर पर मिसाइलें और ड्रोन दागे गए हैं। जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
Iran Israel War : मिडिल ईस्ट में लगातार तनाव बना हुआ है। इजराइल-हमास का युद्ध चल ही रहा है कि अब ईरान ने इजराइल पर हमला बोल दिया है। ऐसा पहली बार है जब इजराइल के खिलाफ युद्ध (Iran Israel Conflict) छेड़ने की ईरान ने गुस्ताखी की है। पहली बार ईरान ने इजराइली सीमा में मिसाइलें और ड्रोन दागी हैं। हालांकि, इजराइल ने ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया है। इस हमले में इजराइल को बहुत थोड़ा ही नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान ने हमला तो बैलिस्टिक मिसाइलों से किया लेकिन इस हमले को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया कि इजराइल आसानी से ही आसमान में मार गिराए और नुकसान भी न हो। जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या ईरान के इस हमले के पीछे की मंशा कुछ और ही है? 5 पॉइंट्स में समझिए...
ईरान ने इजराइल पर हमला क्यों किया
दोनों देशों के बीच तनाव का कारण पिछले हफ्ते हुई एक घटना है, जब 1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हवाई हमला किया गया। इस हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के अल-कुद्स बल के एक सीनियर कमांडर समेत कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। ये सभी दमिश्क दूतावास परिसर में एक मीटिंग में पहुंचे थे। इस हमले का आरोप इजराइल पर लगाया गया। हालांकि, इजराइल ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। हमले के बाद ईरान के नेताओं ने राजनयिक मिशन को निशाना बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की और इसका बदला लेने का ऐलान कर दिया। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इजराइल को इसका उचित जवाब दिया जाना चाहिए। यह ईरानी धरती पर हमले के बराबर है। तभी से आशंका थी कि ईरान इजराइल से युद्ध कर सकता है।
इजराइल पर हमले के पीछे ईरान की मंशा क्या है
1. इजराइल पर पहली बार ईरान का सीधा सैन्य हमला
इजराइल और ईरान के बीच 1979 की इस्लामी क्रांति से दुश्मनी चली आ रही है, बावजूद इसके कभी भी ईरान ने इजराइल पर सीधा सैन्य हमला नहीं किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को ईरान ने 200 से ज्यादा मिसाइलें दागी लेकिन उससे इजराइल को कोई नुकसान नहीं हुआ, तो क्या इसका मतलब उसने हमला डर-डर कर किया है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इस हमले के तुरंत बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में अपना बयान दाखिल कर कहा कि 'अब मामले को खत्म माना जाए।' जिसका साफ मतलब है कि ईरान नहीं चाहता कि यह युद्ध ज्यादा दूर तक जाए। यह ठीक उसी तरह है, जिस तरह जब ईरान ने पाकिस्तानी सीमा में अटैक किया और पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की लेकिन फिर दोनों ही देश शांत हो गए लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या इजराइल ईरान के हमले के बाद शांत बैठेगा?
2. क्या ईरान का मकसद इजराइल को कम नुकसान पहुंचाना
इजराइल पर ईरान ने जो ड्रोन दागे, वो लंबी दूरी से धीमी गति से चलने वाले हैं, इन्हें आसानी से इंटरसेफ्ट भी किया जा सकता है और मार भी गिराया जा सकता है। ईरान ने ड्रोन हमले की रिपोर्ट फौरन ही सार्वजनिक भी कर दी, ऐसा तब हुआ जब जब ड्रोन इजराइली सीमा से काफी दूर थे। जिन बैलिस्टिक मिसाइल से वह इजराइल को नुकसान पहुंचा सकता था, जिसे मार गिराने में काफी मशक्कत करनी पड़ती, उसे इजराइल ने इतनी आसानी से कैसे गिरा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे साफ जाहिर होता है कि इस हमले से ईरान का मकसद इजराइल को नुकसान पहुंचाना नहीं था। अगर ऐसा है तो सवाल कि आखिर उसने ऐसा फैसला क्यों किया, वह चाहता क्या था?
3. बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल क्यों
ईरान के हमले को लेकर इजराइली सैन्य बल ने कहा कि उसके दक्षिणी हिस्से में एक सैन्य अड्डे पर अटैक हुआ है, जिसमें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बैलिस्टिक मिसाइलें सिर्फ इसी टारगेट के लिए थी, क्या ईरान का लक्ष्य सिर्फ सैन्य अड्डा ही था? क्या ईरान कम दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल इजराइल पर हमले के लिए किया, जबकि उसके पास तो फतेह-110 जैसी मिलाइलें हैं, जो खतरनाक हमले कर सकती हैं।
4. ईरान का हमला इतना कमजोर क्यों
ईरान के पास फतेह-110 जैसी खतरनाक मिसाइलें हैं, लेकिन इस हमले में उसने इनका इस्तेमाल नहीं किया है, जिसे लेकर जानकारों का कहना है कि ईरान इजराइल को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं, आखिर क्यों? अगर उसने फतेह-110 मिसाइलों का इस्तेमाल किया है तो इससे पता चलता है कि उसकी मिसाइलें इस तरह फ्लॉप हैं, जो इजराइली डिफेंस सिस्टम के आगे ठहर तक नहीं सकती हैं।
5. क्या इजराइल चुप बैठेगा
इस हमले के बाद इजराइल की तरफ से प्रतिक्रिया आई कि उचित जवाब दिया जाएगा लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत के बाद इजराइली पीएम ने जवाबी कार्रवाई नहीं करने को कहा है, लेकिन इसकी उम्मीद काफी कम है। जानकारों का कहना है कि इजराइल कभी भी इतनी खामोशी से कोई हमला बर्दाश्त नहीं करेगा। वह हमले के बाद चुप बैठने वालों में से नहीं है।
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