सार
रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव (Ukraine Russia tension) लगातार बढ़ता जा रहा है। अब आशंका बढ़ने लगी है कि दोनों देशों के बीच की यह लड़ाई अमेरिका, पश्चिम देश V/s रूस न हो जाए। यूक्रेन के बॉर्डर पर रूस के सैनिकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं, टैंक, लॉन्चर, मिसाइलें आदि युद्ध के लिए तैयार हैं।
वर्ल्ड डेस्क न्यूज: रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव (Ukraine Russia tension) लगातार बढ़ता जा रहा है। अब आशंका बढ़ने लगी है कि दोनों देशों के बीच की यह लड़ाई अमेरिका, पश्चिम देश V/s रूस न हो जाए। यूक्रेन के बॉर्डर पर रूस के सैनिकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं, टैंक, लॉन्चर, मिसाइलें आदि युद्ध के लिए तैयार हैं। यूक्रेन के बॉर्डर पर रूस के सैनिकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं, टैंक, लॉन्चर, मिसाइलें आदि युद्ध के लिए तैयार हैं। वहीं, यूक्रेन भी पीछे हटने को राजी नहीं है।
यह है विवाद की मुख्य वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। इस समय यूक्रेन के बॉर्डर पर रूस के 1 लाख से अधिक सैनिक तैनात हैं। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं है। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।
इधर, अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने यूक्रेन के चार अफसरों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। इन पर आरोप है कि वे यूक्रेन पर हमला करने में रूस की मदद कर रहे हैं। इनमें से दो अफसर- तारास कोजक और ओलेह वोलोशिन संसद के वर्तमान सदस्य हैं और दो अन्य पूर्व सरकारी अधिकारी हैं।
कई देश युद्ध में कूद सकते हैं
ब्रिटेन यूक्रेन को अपनी रक्षा करने के लिए हथियारों की सप्लाई कर रहा है। उसने कम दूरी तक मार करने वाले एंटी टैंक मिसाइल (Short Range Anti Tank Missiles) यूक्रेन को दिए हैं। इन मिसाइलों का इस्तेमाल कर यूक्रेन के जवान रूसी टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को रोक पाएंगे। ब्रिटेन के डिफेंस सेक्रेटरी बेन वालेस ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सैनिकों की एक छोटी टीम को ट्रेनिंग देने के लिए यूक्रेन भेजा जाएगा।
इसलिए दोनों देशों में ठनी है
पश्चिमी देशों की खुफिया संस्थाओं का अनुमान है कि युक्रेन की सीमाओं पर रूसी सेना की संख्या जनवरी के आखिरी तक 1.75 लाख तक पहुंच सकती है। पश्चिमी देशों में दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसे हालात फिर से बन रहे हैं। रूस को आशंका है कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बना, तो नाटो के ठिकाने उसकी सीमा के नजदीक तक पहुंच जाएंगे। कभी पूर्वी यूक्रेन पुतिन समर्थक हुआ करता था। लेकिन 2014 में रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद से स्थिति बदल गई। यूक्रेन के लोग रूस विरोधी सरकारों को चुनते आए हैं। 2014 में हुए युद्ध में रूस ने युक्रेन से क्रीमिया को छीनकर अपना कब्जा कर लिया था। 1991 से पहले यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन अब वो एक रूस को पसंद नहीं करता है।
नाटो क्या है
नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन(नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वॉशिंगटन में किया गया था। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है। इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था। इसमें फ्रांस। बेल्जियम। लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल, अमेरिका, पूर्व यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी और स्पेन शामिल हैं।
(एक यूक्रेनी सैनिक रूसी समर्थक विद्रोहियों से अलग होने की रेखा(line of separation) पर एक खाई में लड़ाई के लिए तैयार बैठा है। फोटो साभार-AP / Andriy Dubchak)
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