US के C5 Superclub प्लान की रिपोर्ट से वैश्विक राजनीति में हलचल है। प्रस्तावित समूह में अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान शामिल हो सकते हैं। यह G7 को पीछे छोड़कर शक्ति संतुलन बदल सकता है। व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट से इनकार किया है, लेकिन बहस जारी है।

नई दिल्ली। दुनिया की राजनीति में इन दिनों एक चौंकाने वाली चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि अमेरिका एक नए “C5 Superclub” या “Core-5 Group” बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसमें सिर्फ पांच देश शामिल होंगे-अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान। यह विचार इतना बड़ा है कि अगर यह हकीकत बनता है, तो दुनिया की पावर बैलेंस पूरी तरह बदल सकती है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस लिस्ट में भारत का नाम सबसे ऊपर चर्चा में है, जबकि यूरोप को इस ग्रुप से पूरी तरह बाहर बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या यह नया C5 सुपरक्लब दुनिया का नया पावर सेंटर बन जाएगा? और क्या भारत इसमें शामिल होकर ग्लोबल लेवल पर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रहा है?

C5 Superclub क्या है? एक ‘नई पावर टीम’ की चर्चा

C5 सुपरक्लब की खबर सबसे पहले अमेरिकी डिफेंस पोर्टल से आई, जिसमें दावा किया गया कि ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन इस नई ग्रुपिंग पर विचार कर रहा है।

इस ग्रुप में शामिल देशों की लिस्ट देखिए:

  • अमेरिका
  • चीन
  • रूस
  • भारत
  • जापान

इन सभी देशों की आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है और ये सब किसी न किसी तरह से दुनिया की दिशा तय करते हैं। ये सभी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले, सैन्य ताकत वाले और आर्थिक शक्ति वाले देश माने जाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह ग्रुप G7 की तरह ही समिट करेगा, लेकिन एजेंडा "सिक्योरिटी और हार्ड पावर" पर ज्यादा केंद्रित होगा।

भारत C5 Superclub में क्यों? भारत की बढ़ती ताकत का ग्लोबल महत्व

रिपोर्ट्स का दावा है कि अमेरिका जिस “नई दुनिया” की कल्पना कर रहा है, उसमें भारत एक अहम खिलाड़ी है।

  • इसकी तीन बड़ी वजहें बताई जा रही हैं:
  • भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
  • भारत की सैन्य और रणनीतिक क्षमता
  • अमेरिका, चीन और रूस के बीच संतुलन बनाने की भारत की ताकत

वैश्विक विश्लेषक मानते हैं कि भारत अब सिर्फ एशिया की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की पावर इक्वेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। शायद इसी कारण भारत को C5 की संभावित लिस्ट में शामिल किया गया है।

क्या C5 Group सच में बनेगा? व्हाइट हाउस ने क्या कहा?

दिलचस्प बात यह है कि व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट को नकार दिया है। अमेरिकी प्रेस सेक्रेटरी ने कहा कि "ऐसा कोई दूसरा, प्राइवेट या सीक्रेट नेशनल सिक्योरिटी डॉक्यूमेंट मौजूद नहीं है।" लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह आइडिया ट्रंप के विज़न से मेल खाता है, इसलिए इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले यह डॉक्यूमेंट पब्लिक न हो, पर यह सोचना कि अमेरिका एक नई पावर स्ट्रक्चर पर विचार कर रहा है, बिल्कुल असंभव नहीं है।

यूरोप C5 Superclub में क्यों नहीं है?

G7 जैसे बड़े ग्रुप्स में यूरोप का दबदबा रहा है। लेकिन C5 में उसे जगह नहीं देना इस बात का संकेत है कि अमेरिका अब दुनिया की राजनीति को नई नजर से देख रहा है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि “यह फैसला दिखाता है कि ट्रंप यूरोप को उतना महत्व नहीं देते जितना बड़ी सैन्य ताकतों को देते हैं।” यही बात इस पूरे मुद्दे को और रहस्यमयी बना देती है।

यह नया C5 क्या करेगा? पहला एजेंडा भी सामने आया

रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर C5 सुपरक्लब बनता है, तो इसका पहला मुख्य एजेंडा बताया गया है:

  • Middle East Security
  • Israel–Saudi Relations
  • बड़े भू-राजनीतिक विवादों में "सुपर पावर टेबल" बनाना
  • यह एजेंडा इस बात की ओर इशारा करता है कि C5 सिर्फ आर्थिक ग्रुप नहीं, बल्कि सुरक्षा और सैन्य रणनीति का बड़ा मंच बन सकता है।

क्या भारत को इससे फायदा होगा?

अगर भविष्य में C5 हकीकत बनता है, तो भारत को तीन बड़े लाभ हो सकते हैं:

  • सुपरपावर देशों के साथ समान स्तर पर बैठने का मौका
  • एशिया में चीन के वर्चस्व का संतुलन
  • ग्लोबल सिक्योरिटी डिसीज़न में बड़ी भूमिका
  • विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए यह “21वीं सदी का सबसे बड़ा स्ट्रैटेजिक अपग्रेड” हो सकता है।

C5 Superclub एक अफवाह या दुनिया की नई तस्वीर?

C5 ग्रुप अभी सिर्फ एक चर्चा है, कोई आधिकारिक एलान नहीं। लेकिन दुनिया की मौजूदा स्थिति, अमेरिका–चीन तनाव, रूस–US टकराव और भारत की बढ़ती भूमिका को देखते हुए यह आइडिया पूरी तरह अविश्वसनीय भी नहीं लगता। दुनिया एक नए पावर ब्लॉक की ओर जा रही है या नहीं-यह आने वाले महीनों में साफ होगा। लेकिन इतना जरूर है कि इस चर्चा में भारत एक टॉप प्लेयर की तरह उभर रहा है।