पंजाब के किसानों को 5 फसलों पर MSP लागू करने की बात की गई थी। इन फसलों में कपास, मक्का, अरहर, उड़द और मसूर दाल शामिल है। इसका उद्देश्य किसानों को गेहूं और धान, दोनों ही जल-गहन फसलों से अलग विविधता लाने में मदद करना था।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो में दावा किया गया है कि किसान आंदोलन को खालिस्तानियों से मदद मिल रही है।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के नाम पर पंजाब की सीमा से लगे हरियाणा के शंभू बैरियर पर उपद्रवी उत्पात मचा रहे हैं। इनके द्वारा सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाकर पथराव किया जा रहा है।
एक पुरानी रिपोर्ट सामने आई है, जब स्वामीनाथन आयोग ने 2010 में न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश की थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था।
ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने बताया है कि इस आंदोलन से अभी करीब 10 हजार ट्रक अलग-अलग जगहों पर फंस गए हैं। इनमें से 6 से 7 हजार ट्रक ऐसे हैं, जिन्हें दिल्ली में सामानों की सप्लाई करनी है।
मॉडिफाई किए गए ट्रैक्टरों और मर्सिडीज-बेंज जी-वैगन्स जैसी महंगी कारों पर सवार होकर किसान विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर निकले हैं। इसे देख लोग सोशल मीडिया पर सवाल पूछ रहे हैं।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते सड़क बंद किए जा रहे हैं। इससे आम लोगों को परेशानी हो रही है। सड़क बंद किए जाने से परेशान एक महिला धरना दे रहे किसानों पर भड़क गई।
13 फरवरी को दिल्ली में किसानों के विरोध प्रदर्शन से पहले सीमाओं को सील किया गया है। किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए सड़क पर कंक्रीट ब्लॉक, कील और कंटीले तार लगाए गए हैं।
किसानों के मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस भी हाई अलर्ट पर है। दिल्ली की सभी सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा बरती जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा सहित किसान समूह MSP के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
आपको बता दें कि साल 2020 में भी एक विशाल किसान मार्च का आयोजन किया गया था. उस वक्त पंजाब और अंबाला के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में किसान शंभू सीमा पर एकत्र हुए और दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए पुलिस अवरोधकों को तोड़ दिया था।