इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 2 सितंबर से होगी, जो 17 सितंबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए रोज श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किए जाते हैं।
पति-पत्नी के बीच तालमेल की कमी हो जाए तो वाद-विवाद की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। ज्योतिष के अनुसार अगर पति-पत्नी की कुंडली में ग्रहों के दोष होते हैं तो ये स्थितियां ज्यादा बनती हैं।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 अगस्त, शनिवार को है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। इस रात चंद्रमा को देखने से झूठे आरोप लगने का भय रहता है।
भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये तिथि 18 अगस्त, मंगलवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है। यानी इस दिन पितरों के निमित्त दान, पूजा आदि करना चाहिए।
शुक्रवार को मां लक्ष्मी के साथ ही शुक्र ग्रह से संबंधित भी माना जाता है। इस दिन शुक्र ग्रह को अनुकूल करने के उपाय करने से मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है।
भाद्रपद मास के तीसरे दिन यानी भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि (इस बार 6 अगस्त, शुक्रवार) विशेष फलदायी होती है, क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है।
इस बार 3 अगस्त, सोमवार को श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व है।
अयोध्या में भूमि पूजन की तैयारियों के बीच परेशान करने वाली खबर आई है। यहां रामलला के एक पुजारी सहित सुरक्षा में लगे एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद सभी लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया है। संपर्क में आए लोगों का सैंपल भी लिया गया है।
सावन भगवान शिव की उपासना का महीना है। इस मंदिर में भगवान शिव के विभिन्न अवतारों की पूजा भी करनी चाहिए। हनुमानजी भी शिवजी के ही अवतार हैं।
सावन का चौथा सोमवार 27 जुलाई को है। वैसे तो सावन का पूरा महीना ही शिवजी को समर्पित है, लेकिन सावन सोमवार का विशेष महत्व है।