9 अक्टूबर, सोमवार को आश्लेषा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे सौम्य नाम का शुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन सिद्धि और साध्य नाम के 2 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल सुबह 07:52 से 09:19 तक रहेगा।
Indira Ekadashi 2023 Kab Hai: श्राद्ध पक्ष एकादशी बहुत खास मानी गई हैं। इस एकादशी का महत्व कईं धर्म ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से पितरों की आत्मा सदा के लिए तृप्त हो जाती है।
25 सितंबर, सोमवार को पहले उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से काण नाम का अशुभ योग और इसके बाद उत्तरषाढ़ा नक्षत्र होने से सिद्धि नाम का शुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि, अतिगण्ड और सुकर्मा नाम के 3 अन्य योग भी रहेंगे।
Parivartini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये तिथि हर महीने में 2 बार आती है यानी साल में 24 बार। इन सभी का अलग-अलग महत्व और नाम है। एकादशी पर व्रत रखने की परंपरा है।
10 सितंबर, रविवार को पहले पुनर्वसु नक्षत्र होने से ध्वजा और बाद में पुष्य नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का 2 शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और रवि योग नाम के 2 अन्य शुभ योग भी बनेंगे। राहुकाल शाम 05:00 से 06:32 तक रहेगा।
Aja Ekadashi 2023 Date: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा और जया एकादशी कहते हैं। इस बार ये व्रत 10 सितंबर, रविवार को किया जाएगा। धार्मिक दृष्टि से यह व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण है।
27 अगस्त, रविवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे शुभ नाम का योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन प्रीति, आयुष्मान और सर्वार्थसिद्धि नाम के 3 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल शाम 5:11 से 6:45 तक रहेगा।
12 अगस्त, शनिवार को परमा एकादशी का व्रत किया जाएगा। शनिवार को आर्द्रा नक्षत्र होने से मुग्दर नाम का अशुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन हर्षण और वज्र नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 9:18 से 10:55 तक रहेगा।
Parma Ekadashi 2023:इन दिनों सावन का अधिक मास चल रहा है। धर्म ग्रंथों में अधिक मास का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में की गई पूजा, उपवास, दान आदि का फल कई गुना होकर मिलता है। इस महीने की एकादशी भी बहुत खास मानी गई है।
Parma Ekadashi 2023: 12 अगस्त, शनिवार को सावन अधिमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इसे पद्ममिनी और परमा एकादशी कहा जाता है। ये एकादशी 3 साल में एक बार आती है, इसलिए इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों मे बताया गया है।