इस बार 11 मई, मंगलवार को वैशाख अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब मंगलवार और अमावस्या का योग बने तो उसे भौमावस्या कहते हैं। ये योग मंगल और पितृ दोष शांति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस बार 12 अप्रैल को साल 2021 की पहली सोमवती अमावस्या है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ऐसा संयोग साल में 2 या कभी-कभी 3 बार भी बन जाता है।
माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये अमावस्या 11 फरवरी, गुरुवार को है। इस दिन प्रयाग या अन्य तीर्थों में स्नान का महत्व है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास का पहला पखवाड़ा यानी 15 दिन पितरों की पूजा के लिए नियत हैं। इस अवधि में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण करने का विशेष महत्व है।
इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 2 सितंबर से होगी, जो 17 सितंबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए रोज श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किए जाते हैं।
भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये तिथि 18 अगस्त, मंगलवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है। यानी इस दिन पितरों के निमित्त दान, पूजा आदि करना चाहिए।
कई बार घर की दीवारों पर कुछ अनचाहे पेड़-पौधे उग जाते हैं। इनसे घर की खुबसूरती पर भी असर पड़ता है, साथ ही ये पेड़- पौधे दीवारों को भी कमजोर करते हैं।
श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उसके लिए श्राद्ध पक्ष का समय विशेष होता है