Guru Purnima 2023: गुरू दो प्रकार के होते हैं एक वो जो स्कूल में शिक्षा ते हैं। दूसरे वो जो आध्यात्मिक शिक्षा देकर अंधकार से प्रकाश तरफ ले जाते। गुरु पूर्णिमा पर जानिए राजस्थान के दो ऐसे टीचर की कहानी, जिन्हें राष्ट्रपति ने पुरस्कार दिया है।
हिंदू धर्म में गुरू को भगवान का दर्जा दिया गया है। क्योंकि वह हमें अंधकार से प्रकाश के लिए ले जाते हैं। इसलिए शिष्य ऐसे गुरुओं के लिए आज 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाते हैं। इस मौके पर जानिए चित्तौड़गढ़ के गुरुकुल की कहानी।
Aaj Ka Panchang: 3 जुलाई, सोमवार को पहले मूल नक्षत्र होने से लुंब और इसके बाद पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र होने से उत्पात नाम के 2 अशुभ योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन ब्रह्म और इंद्र नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 7:29 से 9:10 तक रहेगा।
Guru Purnima 2023: इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई, सोमवार को है। इस दिन लोग अपने-अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
Guru Purnima 2023: आषाढ़ मास के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और उन्हें उपहार आदि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
4 जून, रविवार को ज्येष्ठा नक्षत्र दिन भर रहेगा, जिससे काण नाम का अशुभ योग बनेगा। इसके अलावा सिद्ध और साध्य नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल शाम 5:25 से 7:05 तक रहेगा।
3 जून, शनिवार को पहले विशाखा नक्षत्र होने से शुभ और इसके बाद अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन शिव और सिद्ध नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 9:04 से 10:44 तक रहेगा।
Vat Savitri Purnima Vart 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 3 जून, शनिवार को है। इस दिन कई शुभ योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
Jyeshtha Purnima 2023 Date: इन दिनों हिंदू पंचागं का तीसरा महीना ज्येष्ठ चल रहा है। इस महीने के अंतिम दिन पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है क्योंकि ये तिथि 1 नहीं 2 दिन रहेगी। दोनों ही दिन इससे संबंधित शुभ कार्य किए जा सकेंगे।
Vat Savitri Purnima Vart 2023: भारत विविधताओं का देश है। यहां एक ही पर्व कई अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। ऐसा ही एक पर्व है वट सावित्री। उत्तर भारत में ये ज्येष्ठ अमावस्या को मनाते हैं, वहीं दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर।