प्रशांत किशोर अब तक नरेंद्र मोदी, जगन मोहन रेड्डी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे की पार्टी के लिए बतौर चुनावी रणनीतिकार काम कर चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। हैट्रिक जीत की ओर बढ़ रही ममता बनर्जी की टीएमसी की चुनावी प्रचार से लेकर रणनीति बनाने तक में अहम भूमिका प्रशांत किशोर ने निभाई है।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस(TMC) के चुनावी रणनीतिकार (Election strategist) प्रशांत किशोर (PK) की सावर्जनिक हुई एक चैट ने ममता बनर्जी के लिए तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। पिछले दिनों TMC ने एक आंतरिक सर्वे(Internal survey) कराया था। इसमें भाजपा जीतती दिख रही है। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि प्रशांत किशोर क्लब हाउस में आपसी बातचीत कर रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि उनकी यह चैट सार्वजनिक हो जाएगी। जानिए पूरा कहानी...
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव है। मतदान से कुछ दिन पहले सीएम ममता बनर्जी पर कथित रूप से हमला हुआ। कुछ लोग ममता से हमदर्दी जता रहे हैं तो कुछ इसे चुनावी स्टंट बता रहे हैं। इन सबके बीच सवाल प्रशांत किशोर पर खड़े हो रहे हैं।
बता दें कि पंजाब के 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव जीत हासिल हो सके, इसलिए सीएम कैप्टन ने प्रशांत किशोर को अपना प्रिंसिपल एडवाइजर बनाया है। प्रशांत किशोर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने चुनाव अभियान की कमान संभाली थी।
राज्य में इस साल मई-जून में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में डीएमके माइनॉरिटी वेलफेयर डिवीजन ने 6 जनवरी को चेन्नई में कॉन्फ्रेंस बुलाई है। DMK के अध्यक्ष स्टालिन के नेतृत्व में चेन्नई के रायपेट में होने वाली इस कॉन्फ्रेंस का नाम दिया गया है "Let's Connect Hearts" यानी आओ दिलों को जोड़ें। इसी क्रम में बताया जा रहा है कि हाल ही में हैदराबाद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने डीएमके के अल्पसंख्यक नेता केएस मसदान से मुलाकात की।
कोरोना महामारी के बहाने ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर हो रहे बीजेपी के हमलों और मीडिया के सवालों का जवाब देने और रणनीति बनाने के लिए प्रशांत किशोर को कोलकाता बुलाया गया है।
जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में किए नीतीश कुमार के दावे के सवाल उठाते हुए पूर्व जदयू उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पूछा है कि जब 15 साल तक सुशासन की सरकार रही तो फिर बिहार पिछड़ा और गरीब राज्य क्यों हैं?
पूर्व जदयू नेता पोलिटकल रिसर्च कंपनी आई पैक के संचालक प्रशांत किशोर ने बीते दिनों जदयू से नाता तोड़ दिया है। जदयू का साथ छोड़ने के बाद पीके ने बात बिहार की नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की। शुरुआती रुझान में उनका यह कार्यक्रम हिट साबित होते दिख रहा है।
सुशील मोदी ने प्रशांत किशोर से पूछा, 'जो व्यक्ति 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के लिए काम करने का डंका पीट चुका हो, उसे बताना चाहिए तब मोदी और भाजपा उसे गोडसेवादी क्यों नहीं लगे?'