हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित है। इसी तरह बुधवार भगवान गणेश की पूजा के लिए उत्तम माना गया है। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का पूजन अनिवार्य होता है।
इस बार 14 जून, सोमवार को पुष्य नक्षत्र शाम 6.23 तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र सोमवार को होने से ये सोम पुष्य कहलाएगा। इसी दिन विनायकी चतुर्थी भी है। सोमवार को पुष्य नक्षत्र और विनायकी चतुर्थी होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
21 अप्रैल, बुधवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इसी दिन राम नवमी भी मनाई जाती है। त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में राजा दशरथ के यहां जन्म लिया था।
भगवान श्रीगणेश सभी दुखों को दूर करने वाले हैं। इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। श्रीगणेश की उपासना के लिए अनेक मंत्र और स्तुतियों की रचना की गई हैं। उन्हीं में से एक है गणेश द्वादश नाम स्तोत्र।
4 नवंबर, बुधवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में मुख्य रूप से भगवान श्रीगणेश व चंद्रदेव की पूजा की जाती है। इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है, इसे गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 5 अक्टूबर, सोमवार को है। अधिक मास होने की वजह से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार विनायकी चतुर्थी व्रत 20 सितंबर, रविवार को है।
श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं, इसीलिए श्रीगणेश प्रथम पूज्य है यानी हर शुभ कार्य में गणेशजी की पूजा सबसे पहले की जाती है।
वैसे तो हमारे देश में भगवान श्रीगणेश के अनेक मंदिर हैं, लेकिन उन सभी में तमिलनाडु के तिलतर्पण पुरी की विशेषता सबसे अलग है।
इस बार 22 अगस्त, शनिवार को गणेश चतुर्थी है। इस दिन घर-घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और अगले 10 दिनों तक अलग-अलग भोग लगाकर श्रीगणेश को प्रसन्न किया जाएगा। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश को लड्डू और मोदक का भोग लगाने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।