वयस्कों को वैक्सीन लगाने के नतीजे चौंकाने वाले थे। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगाई गई थी वे भी वायरस के कम संक्रमण फैलने की वजह से सुरक्षित थे।
संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों में कंपनियों को क्षतिपूर्ति दी जा रही है। लेकिन भारत में अभी ऐसा नहीं हुआ था।
भाजपा ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस और राहुल गांधी से सवाल किया है कि क्या यही है कांग्रेस का राजस्थान माॅडल।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है। हमें बहुत जल्द देश की पहली सिंगल डोज वैक्सीन मिल सकती है। रूस की सिंगल डोज वैक्सीन स्पुतनिक लाइट के एप्रूवल के लिए डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज और भारत सरकार के बीच बातचीत जारी है। बता दें भारत में स्पुतनिक-V पहले ही आ चुकी है। इस वैक्सीन की सिर्फ एक डोज ही 80% तक असरदार बताई जा रही है।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने भी कोरोना वैक्सीन बना ली है। मंगलवार को इसकी लॉन्चिंग की गई। प्रधानमंत्री इमरान खान के हेल्थ एडवायजर डॉ. फैसल सुल्तान ने एक समारोह के दौरान वैक्सीन लॉन्च की। हालांकि मीडिया को यह नहीं बताया गया कि यह वैक्सीन संक्रमण पर कितनी असरकारक है। वैक्सीन का नाम पाकवैक (PakVac) रखा गया है।
डब्ल्यूएचओ ने चीन की सिनोवैक बायोटेक को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अपनी अप्रूवल लिस्ट में शामिल किया है। विशेषज्ञों के अनुसार सिनोवैक को 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री पी.विजयन ने पत्र लिखकर कहा है कि पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है और एक्सपर्ट भी कह रहे हैं कि तीसरी वेव खतरनाक हो सकती है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। अब उन्होंने वैक्सीनेशन कार्यक्रम को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार की जीरो वैक्सीन नीति भारत माता के सीने में खंजर का काम कर रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा है कि राजधानी में 20 जून को स्पूतनिक वी वैक्सीन का पहला बेच पहुंच जाएगा। केजरीवाल ने कहा, स्पुतनिक अभी आयात की स्थिति में है। भारत में इसका उत्पादन अगस्त से शुरू होगा।
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि Sars-2 या Covid-19 के खिलाफ रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम से कम एक साल तक रहती है। उन्होंने अनुमान लगाया कि कोविड -19 के खिलाफ प्रतिरक्षा कुछ लोगों में दशकों तक रह सकती है। रिसर्च रिपोर्ट को साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित किया गया।