हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी कहते हैं। इसे परिवर्तिनी एकादशी व डोल ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान वामन की पूजा की जाती है।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहते हैं। इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं। यह व्रत ज्ञात-अज्ञात पापों का दोष दूर करने के लिए किया जाता है। इस बार यह व्रत 23 अगस्त, रविवार को है।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 21 अगस्त, शुक्रवार को है। माना जाता है कि विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस या गोवत्स द्वादशी कहते हैं। इस दिन पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं।
भादौ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। जया एकादशी सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली है। इसे अजा एकादशी भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसका महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।
भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी व बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है।
धर्म से संबंधित कुछ उलझने ऐसी हैं, जो पूरी जानकारी न होने पर कई बार परेशानी का कारण बन जाती हैं।
श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों में इसका नाम पुत्रदा एकादशी भी बताया गया है।
हरियाली तीज या श्रावणी तीज का उत्सव सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।
सावन माह के अंतिम 15 दिनों में यानी 20 जुलाई से 3 अगस्त तक कई बड़े पर्व आ रहे हैं, इन त्योहारों पर ज्योतिष के दुर्लभ योग भी बनेंगे। साथ ही, इनमें 7 दिन कई शुभ मुहूर्त भी हैं। इन मुहूर्त में किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है।