इस बार 13 जनवरी, गुरुवार को पौष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी है। इसे पवित्रा और पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा की परंपरा है।
इस बार 9 जनवरी, रविवार को पौष महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी है। पुराणों में इसे भानू सप्तमी (Bhanu Saptami 2022) कहा गया है। इस दिन सूर्य पूजा और व्रत करने से बीमारियां खत्म होने लगती हैं और उम्र भी बढ़ती है। ये दिन मकर संक्रांति से पहले सूर्य पूजा का पर्व है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सूर्य नमस्कार का विरोध किया है। आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर 1 से 7 जनवरी तक स्कूलों में सूर्य नमस्कार करवाया जाए सरकार ने ऐसे निर्देश दिए थे।
इस बार पौष मास की शुरूआत 20 दिसंबर, सोमवार से हो चुकी है, जो 17 जनवरी तक रहेगा। इस महीने से जुड़ी अनेक परंपराएं और मान्यताएं धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं। इस महीने से जुड़ी ऐसी ही एक परंपरा है भगवान सूर्यदेव की पूजा करना।
हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना पौष 20 दिसंबर से शुरू हो चुका है, जो 17 जनवरी तक रहेगा। इस दौरान प्रकृति में बहुत से सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसलिए पौष महीना जीवन शक्ति और आध्यात्म स्तर बढ़ाने का सही समय होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का दसवां महीना पौष 20 दिसंबर, सोमवार को शुरू हो चुका है, जो 17 जनवरी तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने से जुड़ी कई परंपराएं और मान्यताएं धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति यानी गुरु हैं। जब भी सूर्य गुरु की इन राशियों में प्रवेश करता है, खर मास शुरू हो जाता है। खर मास (Khar Maas 2021) के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते हैं।
अगहन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नंदा सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार ये तिथि 10 दिसंबर, शुक्रवार को है। नारद पुराण में इस दिन भगवान सूर्य के लिए 'मित्र व्रत' करने का विधान बताया गया है।
उत्तर भारत में किया जाने वाला छठ पर्व (Chhath Puja 2021) हिंदू धर्म के सबसे छठ व्रतों में से एक है। इस व्रत में 36 घंटे तक निर्जला (बिना कुछ खाए-पिए) रहना पड़ता है। वैसे तो छठ व्रत में 100 से अधिक सामग्रियों की जरूरत होती है, लेकिन जिसके पास कुछ भी नहीं है तो भी वह सिर्फ जल से अर्घ्य देकर व्रत को संपन्न कर सकता है।
इस बार 10 नवंबर, बुधवार को छठ पर्व (Chhath Puja 2021) मनाया जाएगा। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे और अगले दिन यानी 11 नवंबर, गुरुवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा। इन दोनों ही दिनों में सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाएगा।