सार

हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना पौष 20 दिसंबर से शुरू हो चुका है, जो 17 जनवरी तक रहेगा। इस दौरान प्रकृति में बहुत से सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसलिए पौष महीना जीवन शक्ति और आध्यात्म स्तर बढ़ाने का सही समय होता है।

उज्जैन. इस बार पौष मास के साथ-साथ खरमास भी चल रहा है। इसलिए इस दौरान शुभ काम नहीं किए जाएंगे, लेकिन भगवान की उपासना जरूर की जाती है। खासतौर से सूर्य उपासना के लिए से सबसे अच्छा महीना माना गया है। धर्म ग्रँथों के अनुसार पौष मास में देवी लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा भी करनी चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पौष मास में करें लक्ष्मी-कुबेर की पूजा
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस महीने सूर्य के साथ देवी लक्ष्मी और कुबेर की उपासना भी विशेष फलदायी मानी जाती है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना करे तो व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ और संपन्न रहता है। मान्यता है कि इस महीने सूर्य 11 हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को ऊर्जा और उत्तम सेहत प्रदान करता है।

ऐसे करें सूर्य की उपासना
- रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के बर्तन से जल में कुंकुम और लाल फूल डालकर अर्पित करें। 
- इस दौरान सूर्य मंत्र 'ॐ आदित्याय नमः' का जाप करते रहें। सूर्यदेव को जल इस प्रकार चढ़ाएं कि जल से निकलने वाली किरणें आपके शरीर पर आकर मिले।
- पौष मास में नमक का सेवन कम से कम करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। रोज सूर्योदय से पहले उठें और सूर्य पूजा करें। ऐसा करने से सूर्य से संबंधित शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

इन चीजों का दान करें
पौष महीने में शीत ऋतु अपने चरम पर होती है। इस मौसम और ऋतु को ध्यान में रखकर ही विद्वानों ने खास चीजों के दान की परंपरा बनाई है। ग्रंथों में बताया गया है कि पौष महीने में तिल, गेहूं, गुड़, गर्म कपड़े, तांबे के बर्तन, जूते-चप्पल, कंबल और लाल चीजों का दान करना चाहिए। इन चीजों के दान से कई यज्ञ करने जितना फल मिलता है। पौष महीने में किए दान से उम्र बढ़ती है और जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

 

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