मां आखिर मां होती है। यह कहानी एक ऐसी मां की है, जिसका बेटा घर से 1200 किमी दूर दादा-दादी के यहां फंस गया था। वो परेशान था। ऑनलाइन आवेदन में उसे घर जाने की परमिशन तो मिल गई, लेकिन प्राइवेट टैक्सी इतना पैसा मांग रही थीं कि इस गरीब परिवार के लिए दे पाना मुश्किल था। लिहाजा, मां ने हिम्मत जुटाई और वो अपनी ट्रायसाइकिल(स्कूटर) से बच्चे को घर ले आई। मां दिव्यांग है, लेकिन उसे अपने बच्चे की फिक्र थी।