सार
आचार्य चाणक्य ने सुखी और सफल जीवन के कई मैनेजमेंट सूत्र अपनी नीतियों में बताए हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि किन 4 लोगों से शत्रुता कर आप मुसीबत में फंस सकते हैं या आपकी जान भी जा सकती है।
उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने सुखी और सफल जीवन के कई मैनेजमेंट सूत्र अपनी नीतियों में बताए हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि किन 4 लोगों से शत्रुता कर आप मुसीबत में फंस सकते हैं या आपकी जान भी जा सकती है। जानिए कौन हैं वो 4…
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
आत्पद्वेषाद् भवेन्मृत्यु: परद्वेषाद् धनक्षय:।
राजद्वेषाद् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषाद कुलक्षय:।।
इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि व्यक्ति को हमेशा ऐसे कामों से बचना चाहिए, जिनसे मृत्यु का संकट खड़ा हो सकता है।
न करें राजा से दुश्मनी
चाणक्य के अनुसार, हमें कभी भी किसी राजा या शासन-प्रशासन से बैर नहीं करना चाहिए। जो लोग शासन से विरोध करते हैं, उनके प्राण संकट में आ सकते हैं। जिस पल किसी राजा का विरोध किया जाता है, उसी पल व्यक्ति के जीवन पर संकट आ जाता है। इसलिए इन लोगों से बैर नहीं लेना चाहिए।
न करें खुद की आत्मा से शत्रुता
यदि कोई व्यक्ति खुद की आत्मा से द्वेष करता है, उसका अनादर करता है, स्वयं के शरीर का ध्यान नहीं रखता, खान-पान में असावधानी रखता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति की मृत्यु कभी भी हो सकती है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य स्वयं ही अपना सबसे बड़ा मित्र है और स्वयं ही अपना सबसे बड़ा शत्रु भी हो सकता है। अत: व्यक्ति यदि स्वयं से शत्रुता करेगा तो उसका नाश होना निश्चित है।
बलवान व्यक्ति से न करें शत्रुता
आचार्य कहते हैं कि किसी बलवान व्यक्ति से शत्रुता करने पर हमारे धन का नाश होता है और साथ ही जान का जोखिम बना रहता है। बलवान व्यक्ति अपने से कमजोर व्यक्ति को बहुत आसानी से और समय मिलते ही समाप्त कर सकता है।
न करें ब्राह्मण से द्वेष
चाणक्य नीति के अनुसार स्वयं की आत्मा से द्वेष करने पर व्यक्ति की मृत्यु जल्दी हो सकती है। बलवान व्यक्ति से शत्रुता और द्वेष करने पर धन का नाश होता है और जान का जोखिम उठाना पड़ सकता है। किसी राजा से द्वेष करने पर व्यक्ति का सर्वनाश हो जाता है। किसी ब्राह्मण या विद्वान व्यक्ति से द्वेष करने पर कुल का ही क्षय हो जाता है।
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