सार

आचार्य चाणक्य के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में जन्म देने वाली मां का स्थान सबसे ऊपर होता है क्योंकि मां अपने बच्चे की खुशी और सुरक्षा के लिए कुछ भी न्यौछावर करने को तैयार रहती है।

उज्जैन. मां के अलावा भी एक व्यक्ति के जीवन में चार ऐसी स्त्रियां होती हैं जो उसकी मां समान होती हैं। व्यक्ति को कभी भूलकर भी इनका अपमान नहीं करना चाहिए। जानिए उन महिलाओं के बारे में…

राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्र पत्नी तथैव च
पत्नी माता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृता

राजा की पत्नी
आचार्य चाणक्य के अनुसार राजा ही अपनी प्रजा का पालनकर्ता होती है। वह अपनी प्रजा की भलाई के लिए हर एक कार्य करता है। यही कारण है कि राजा को पिता के समान दर्जा दिया जाता है। राजा की पत्नी को सदैव मां के समान आदर देना चाहिए।

गुरु की पत्नी
सबसे पहली गुरू एक बच्चे के जीवन में उसकी मां होती है लेकिन एक समय के बाद गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो व्यक्ति के जीवन के सही राह दिखाता है और जीवन जीने का सही तरीका सिखाता है। गुरू का स्थान श्रेष्ठ माना गया है, गुरू को पिता के समान दर्जा दिया जाता है। गुरु की पत्नी का सदैव मां के समान आदर सम्मान करना चाहिए।

मित्र की पत्नी
मित्र या फिर बड़े भाई की पत्नी यानी भाभी को मां के समान दर्जा दिया गया है। इसलिए मित्र या भाई की पत्नी को सदैव मां के समान आदर सम्मान देना चाहिए। कभी भी उस पर गलत नजर नहीं रखना चाहिए।

पत्नी की मां
पत्नी आपके जीवन में आकर अपने सुखों का त्याग करके भी आपको सुख प्रदान करती है। इसलिए जिस प्रकार आपकी मां का स्थान होता है उसी प्रकार पत्नी की मां का भी सम्मान करना चाहिए। इसी तरह से पत्नी को भी अपने पति की मां को वही प्यार और सम्मान देना चाहिए जो अपनी मां को देती है।

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