सार
दीपावली (Diwali 2021) पर देवी लक्ष्मी के चित्रों की पूजा की जाती है। सभी चित्र अलग-अलग होते हैं। कुछ चित्रों में देवी लक्ष्मी हाथी पर सवार दिखाई देती हैं तो कुछ में उल्लू पर। इसके अलावा और कुछ चित्रों में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी क्षीरसागर में शेषशैया पर विराजमान दिखाई देते हैं।
उज्जैन. कुछ चित्र में देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैरों की ओर बैठी हुई दिखाई देती हैं। देखने में ये चित्र बहुत सामान्य दिखाई देते हैं मगर इनके पीछे लाइफ मैनेजमेंट के कई गहरे रहस्य छिपे हैं। इन चित्रों के लाइफ मैनेजमेंट को समझकर हम अपनी लाइफ में कई उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। दीपावली (इस बार 4 नवंबर, गुरुवार) के मौके पर हम आपको इन चित्रों में छिपे लाइफ मैनेजमेंट के खास सूत्रों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
हाथी पर उल्लू पर विराजमान देवी लक्ष्मी
माता लक्ष्मी का वाहन सफेद रंग का हाथी होता हैं। हाथी भी एक परिवार के साथ मिल-जुलकर रहने वाला सामाजिक एवं बुद्धिमान प्राणी होता हैं। उनके परिवार में मादाओं को प्राथमिकता दी जाती हैं तथा उनका सम्मान किया जाता हैं। हाथी हिंसक प्राणी नही होता। उसी तरह अपने परिवार वालों को एकता के साथ रखने वालों तथा अपने घर की स्त्रियों को आदर एवं सम्मान देने वालों के साथ लक्ष्मी का निवास होता है।
लक्ष्मी का वाहन उल्लू भी होता हैं। उल्लू सदा क्रियाशील होता हैं। वह अपनी उदर पूर्ति (पेट भरने के लिए) के लिए रात-दिन नही देखता व सदा कार्य करता रहता है। उसी तरह जो लगातार कर्मशील होता है। अपने कार्य को पूरी तन्मयता के साथ पूरा करता है। लक्ष्मी सदा उस पर प्रसन्न होती हैं तथा स्थायी रूप से उसके घर में निवास करती हैं।
सागर में ही क्यों रहते हैं विष्णु-लक्ष्मी?
पुराणों और अन्य धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु जिस क्षीरसागर में रहते हैं वह कामधेनु गाय की पुत्री सुरभि के दूध से भरा है। वहीं पर भगवान विष्णु शेषशैया पर विश्राम करते हैं और वहीं से इस सृष्टि का संचालन करते हैं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखें तो क्षीरसागर हमारी दुनिया का प्रतीकात्मक रूप है। यह दुनिया भी क्षीरसागर की तरह अथाह है और इसमें सागर के पानी जितने ही सुख-दु:ख भी हैं। जिस शेषनाग पर भगवान विष्णु लेटे हैं वह हमारे गृहस्थ जीवन का प्रतीक है। इसी गृहस्थ जीवन में बंधकर उसे चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिए संघर्ष करना है। तभी वह इस भवसागर से मुक्त हो सकता है।
क्षीरसागर में शेषशैया पर लेटे भगवान विष्णु हमें यही संदेश देते हैं।
क्यों भगवान विष्णु के पैरों की ओर बैठती हैं माता लक्ष्मी?
माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही निवास करती हैं ऐसा क्यों। इसका कारण हैं कि भगवान विष्णु कर्म व पुरुषार्थ का प्रतीक हैं और माता लक्ष्मी उन्हीं के यहां निवास करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते और कर्म व अपने पुरुषार्थ के बल पर विजय प्राप्त करते हैं जैसे कि भगवान विष्णु। जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर अधर्मियों का नाश करते हैं और कर्म का महत्व दुनिया को समझाते हैं। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि केवल भाग्य पर निर्भर रहने से लक्ष्मी(पैसा) नहीं मिलता। धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ता है साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लडऩे का साहस भी आपने होना चाहिए। तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी।
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