धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ व्रत (Chhath Puja 2021) किया जाता है। इस व्रत में सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार ये पर्व 10 नवंबर, बुधवार को है। वैसे तो हमारे देश में सूर्य देवता के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढ़ेरा में स्थित सूर्य मंदिर बहुत विशेष है।
उज्जैन. गुजरात के मोढ़ेरा स्थित सूर्य मंदिर को संयुक्त राष्ट्र की ब्रांच यूनेस्को ने इसे वर्ष 2014 में, विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जगह दी। तब से मोढ़ेरा स्थित सूर्य मंदिर वर्ल्ड हेरिटेज का हिस्सा है। यह मंदिर गुजरात के प्राचीन पर्यटक स्थलों में से भी एक है और यहां की गौरवगाथा का भी प्रमाण है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने ब्रह्महत्या से मुक्ति के लिए इस स्थान पर यज्ञ किया था और इस नगर की स्थापना भी उन्हीं ने की थी।
राजा भीमदेव ने बनवाया था ये मंदिर
मेहसाणा जिले में यह सूर्य मंदिर पुष्पावती नदी के किनारे सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में बनवाया था। इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित कराई गई। इसे इस तरह बनाया गया कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक सूरज की किरणें जरूर पड़ती हैं। 11वीं शताब्दी के इस सूर्य मंदिर की देख-रेख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है। यही वजह है कि, आज भी यह मंदिर अच्छा-खासा बचा हुआ है। हालांकि, यहां गुजरात से बाहर के लोग बहुत कम ही पहुंचते हैं।
तीन भागों में विभाजित है मंदिर
जब यह बना था तो इस मंदिर के परिसर को तीन भागों में बांटा गया- गुढ़ा मंडप (धर्मस्थल), सभा मंडाप (सभा भवन) और कुंड (जलाशय)। कुंड में नीचे जाने पर सीढ़ियां बनी हुई हैं और कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।अलग-अलग ऋतुकाल में इसके तीनों भागों की खूबसूरत उभर आती है। मंदिर के गर्भगृह में कईं पौराणिक कथाओं का चित्रण दीवारों पर नक्काशी द्वारा किया गया है।
52 स्तंभों पर है सभा मंडप
मंदिर का सभा मंडप 52 स्तंभों पर खड़ा है, जो एक वर्ष में 52 सप्ताह दर्शाता है। हवा, पानी, पृथ्वी और अंतरिक्ष के साथ समन्वयता दर्शाने के लिए दीवारों पर सूर्य की नक्काशी है। साथ ही मंदिर के चारों तरफ देवी-देवताओं और अप्सराओं की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। ऐसे में यह मंदिर अपनी छवि के लिए देखते ही बनता है।
चूने का इस्तेमाल नहीं हुआ
मंदिर की एक खासियत यह भी कि इसके निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं किया गया। राजा भीमदेव ने इस मंदिर को दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह था और दूसरा सभामंडप। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड बना हुआ है, जिसे लोग सूर्यकूंड या रामकुंड के नाम से जानते हैं।
कैसे पहुंचें?
- मोढेरा का सबसे नजदीक हवाई अड्डा अहमदाबाद में है। जो लगभग 100 किमी दूर है। एयरपोर्ट से बस या टैक्सी द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- सूर्य मंदिर मोढेरा के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध भी नहीं हैं और इसका निकटतम रेलवे स्टेशन बेचारजी रेलवे स्टेशन है जो मोढेरा से लगभग 15 किमी दूरी पर स्थित है।
- मोढेरा सड़क मार्ग द्वारा गुजरात के सबसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। मोढेरा के लिए नियमित रूप से बसे भी संचालित की जाती है।
छठ पूजा के बारे में ये भी पढ़ें
Chhath Puja 2021: 10 नवंबर को छठ पर्व पर करें ये आसान उपाय, दूर होगा सूर्य दोष और मिलेंगे शुभ फल
Chhath Puja 2021: 8 से 10 नवंबर तक की जाएगी छठ पूजा, ये है सूर्य पूजा का महापर्व
Chhath Puja 2021: इस साल कब है छठ पूजा? जानिए नहाय-खाय, खरना की तारीखें और पूजा विधि
दीवाली-छठ पर बिहार जाना है तो पढ़ लीजिए CM नीतीश की गाइडलाइन, जिसके बिना नहीं दी जाएगी एंट्री..