Chhath Puja 2021: उत्तराखंड के इस प्राचीन मंदिर में है ध्यान मुद्रा में सूर्यदेव की दुर्लभ प्रतिमा

हिंदू धर्म में सूर्यदेव की पूजा कई मौकों पर की जाती है जैसे मकर संक्रांति, रथ सप्तमी और छठ पूजा (Chhath Puja 2021 )। इस बार छठ पूजा 10 नवंबर, बुधवार को है। धर्म ग्रंथों में सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है। इस दिन सूर्यदेव को विशेष अर्ध्य दिया जाता है। सूर्यदेव के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
 

उज्जैन. सूर्यदेव का एक प्राचीन मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। कोणार्क के बाद ये दूसरा सबसे प्राचीन मंदिर कहा जाता है। अल्मोड़ा से करीब 17 किमी दूर कटारमल गांव में ये मंदिर स्थित है। इस मंदिर में सूर्य भगवान की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा में सूर्यदेव ध्यान मुद्रा में विराजित हैं। इसे आदित्य मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कई कथाएं और किवंदतियां हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें...

9वीं सदी का है कटारमल सूर्य मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में राजा कटारमल द्वारा करवाया गया था। राजा के नाम पर ही इस गांव का नाम कटारमल पड़ा है। इस मंदिर में सूर्यदेव के अलावा छोटे-बड़े करीब 45 मंदिर और हैं। यहां शिव-पार्वती, गणेशजी, भगवान विष्णु के अलावा अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। मंदिर की वास्तुकला बहुत ही सुंदर है। मंदिर के खंबों पर आकर्षक नक्काशी भी की गई है। नागर शैली में बना ये मंदिर पूर्व मुखी है। सुबह सूर्योदय के समय सूर्य सीधी किरणें मंदिर में प्रवेश करती हैं। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक वातावरण यहां की खासियत है।

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मंदिर का पौराणिक महत्व
पौराणिक उल्लेखों के अनुसार सतयुग में उत्तराखण्ड की कन्दराओं में जब ऋषि-मुनियों पर धर्मद्वेषी असुर ने अत्याचार किये तो उस समय द्रोणगिरी (दूनागिरी), कषायपर्वत तथा कंजार पर्वत के ऋषि मुनियों ने कौशिकी (कोसी नदी) के तट पर आकर सूर्यदेव की स्तुति की। ऋषि मुनियों की स्तुति से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने अपने दिव्य तेज को वटशिला में स्थापित कर दिया। इसी वटशिला पर कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल ने बड़ादित्य नामक तीर्थ स्थान के रूप में प्रस्तुत सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया होगा। जो अब कटारमल सूर्य-मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है।

कैसे पहुंचें?

वायु मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा रामनगर व हल्द्वानी के मध्य में स्थित पंतनगर विमानक्षेत्र है। यह सड़क द्वारा लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर में ही है। जहॉं से सुविधानुसार टैक्सी अथवा कार से पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग
रेलवे जंक्शन काठगोदाम जो कि लगभग एक सौ किलोमीटर की दूरी पर तथा दूसरा रेलवे जंक्शन 130 किलोमीटर पर रामनगर में है। दोनों स्थानों से सुविधानुसार उत्तराखण्ड परिवहन की बस अथवा टैक्सी कार द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग
दिल्ली के आनन्द विहार आईएसबीटी से लगभग 350 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से अल्मोड़ा व रानीखेत के लिये उत्तराखंड परिवहन की बसें नियमित रूप से उपलब्ध होती हैं। जिनके द्वारा 10-15 घंटों में यहाँ पहुंचा जाता है। प्रदेश के अन्‍य स्थानों से भी बसों की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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