आपको तो नहीं पतला दिखने का पागलपन, क्योंकि ये एक बीमारी है, इसकी वजह से 21 साल की लड़की मरना चाहती है

नई दिल्ली. एक 21 साल की लड़की सुसाइड करना चाहती थी। खुद की जान देना चाहती थी। जिंदगी से प्यार ही नहीं रह गया था। दरअसल, उस लड़की (Anorexia girl) को ऐसी बीमारी हो गई, जिससे उसे हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं वह मोटी न हो जाए। मोटी होने से अच्छा है कि मर जाए। हालांकि इस चक्कर में वह इतनी पतली (eating disorder) हो गई थी कि वह हार्ट एक मिनट में सिर्फ 32 बार ही धड़कता था, जबकि एक सामान्य व्यक्ति का हार्ट एक मिनट में 72 बार धड़कता है। इससे लड़की बहुत परेशान थी। लेकिन वह अपने दिमाग को समझा नहीं पा रही थी। लड़की का नाम शार्लोट फोस्टर है। जानें 21 साल की शार्लोट क्यों सुसाइड करना चाहती थी...?
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 6, 2021 5:07 AM IST / Updated: Oct 06 2021, 10:39 AM IST
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आपको तो नहीं पतला दिखने का पागलपन, क्योंकि ये एक बीमारी है, इसकी वजह से 21 साल की लड़की मरना चाहती है

21 साल की शार्लोट फोस्टर का वजन बहुत तेजी से कम हो रहा था। इसके पीछे उसकी एक सोच थी। वह एनोरेक्सिया (anorexia) से जूझ रही थी। इस बीमारी की वजह से वह इतनी ज्यादा कमजोर हो चुकी थी कि रात के वक्त उसकी हार्ट बीट तेजी से कम हो जाती थी। 

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शार्लोट जब डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने उसे इसके पीछे की वजह बताया। डॉक्टर ने बताया कि उसका रोजाना का खाना पान इसके पीछे की एक बड़ी वजह है। पिछले साल लॉकडाउन में भी ठीक से खान पान नहीं कर पाने की वजह से उसका वजन तेजी से घटा। पिछले साल अक्टूबर में वजन घटने के बाद उसे हॉस्पिटल तक ले जाना पड़ा।

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एनोरेक्सिया (prevention of anorexia) की वजह से शार्लोट ने अपनी डाइट पर इतनी रोक लगा रखी थी कि लेट्यूस, गाजर और कोक जीरो पर निर्भर थी। शार्लोट ने कहा, मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में बहुत संभल कर खाना शुरू किया। मुझे खुद को लेकर बहुत बुरा लगता था। मेरी खाने की आदते खराब होने लगी थीं। मेरी डाइट बहुत खराब होने लगी थी।  
 

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शॉर्लोट ने बताया कि जब जिम फिर से खुल गए तो मैं नॉन-स्टॉप कार्डियो जाने लगी। दरअसल मैं खाने और मोटा होने से डरती थी। मुझे लगा कि मोटा होने के बजाय मरना पसंद करूंगी। जैसे-जैसे उसका वजन कम होना शुरू हुआ, परिवार और दोस्तों ने उसके खाने की आदतों के बारे में चिंता करना शुरू कर दिया और उसे डॉक्टर से मदद मांगी। 

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शार्लोट (anorexia patients) ने कहा, मेरी हालत बहुत खराब थी। मैं मुश्किल से बिस्तर से उठ पाती थी। मेरी मां एक दिन मेरे कमरे में आई और कहा मैं तुम्हारे लिए बहुत परेशान हूं। ऐसा लग रहा है कि मैं तुम्हें खो दूंगी। डॉक्टरों ने कुछ टेस्ट किए और मुझे एक ईटिंग डिसऑर्डर टीम के पास भेज दिया।  मुझे तो लग रहा था कि मैं मर जाऊं। लेकिन डॉक्टर्स ने चमत्कार कर दिया। केवल 10 महीनों में मेरा जीवन बदल गया। आइसक्रीम और चॉकलेट जैसे स्नैक्स खाने से कैलोरी को बढ़ाना शुरू कर दिया।   

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एनोरेक्सिया (what causes anorexia) एक मेंटल बीमारी है, जिसमें व्यक्ति अपने वजन को लेकर बहुत अधिक चिंतित रहता है। ऐसे लोग बहुत अधिक डाइटिंग करते हैं। जिम जाते हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि कहीं वे मोटे न हो जाए। ऐसे में खाना भी बहुत कम ही खाते हैं। सही खान पान की वजह से उनकी सेहत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। 
 

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अगर एनोरेक्सिया के लक्षण (symptoms of anorexia) की बात की जाए तो तेजी से वजन कम होना। बेहोशी आना। चक्कर आना और मासिक धर्म न होना इसके लक्षण हैं। इसके अलावा कब्ज की दिक्कत होना और नींद न आना भी इसके लक्षणों में शामिल है। 

नोट- खबर में इस्तेमाल की गईं तस्वीरें सांकेतिक हैं।

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