कोरोना को मात देगी अमेरिकी वैक्सीन, 43 साल की महिला को लगाया गया पहला इंजेक्शन

कोरोना वायरस के बढ़ते आतंक के बीच अमेरिका से राहत भरी खबर सामने आई है। अमेरिका ने कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन की खोज की है। जिसे एक 43 साल की महिला पर प्रयोग किया है। हालांकि अभी रिसर्चर 6 हफ्ते तक रिसर्च करेंगे। जिसके बाद यह साफ हो पाएगा कि वैक्सीन का असर कारगार होता है या नहीं। 

वाशिंगटन. COVID-19 नोवल कोरोना वायरस के आतंक ने दुनिया के सभी ताकतवर देशों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है। दुनिया के 145 से अधिक देशों में कोरोना का संक्रमण फैल चुका है। इस वायरस से अब तक 6 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसी क्रम में कोरोना वायरस पर लगाम पाने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पहले टीके का परीक्षण किया है। शोधकर्ताओं ने सोमवार को टीके का परीक्षण करते हुए अमेरिका के सियाटल में एक महिला को कोरोना वैक्सीन की सूई लगाई गई है। 

दो बच्चों की मां पर किया गया प्रयोग 

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कोविड-19 का पहला टीका जेनिफर हैलर नाम की एक महिला को दिया गया, जो कि एक टेक कंपनी में ऑपरेशन मैनेजर है। एक सामाचार एजेंसी के मुताबिक टीका दिए जाने के बाद हैलर ने कहा, "हम सभी असहाय महूसस कर रहे थे, ये कुछ करने के लिए मेरे पास शानदार मौका है। सूई लेने के बाद दो बच्चों की मां जेनिफर ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं शानदार महसूस कर रही हूं।  इस महिला के अलावा तीन और लोगों को टीका दिया जाएगा। 

अब वैज्ञानिक इस वैक्सीन के असर का अध्ययन कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के सामने अब ये साबित करने की चुनौती है कि ये टीका सुरक्षित है और सफलतापूर्वक संक्रमण को रोक पाता है। 

अभी 12 से 18 महीने का करना होगा और इंतजार

हालांकि अगर ये परीक्षण सफल भी हो जाता है तो भी बाजार में वैक्सीन को आने में 12 से 18 महीने लगेंगे। क्योंकि इस टीके का असर समझने में कई महीने लग सकते हैं। इस परीक्षण के लिए 18 से 55 साल के 45 स्वस्थ लोगों का चयन किया गया है। इन पर 6 हफ्ते तक टीके के असर का अध्ययन किया जाएगा। 

ये वैक्सीन दुनिया में रिकॉर्ड टाइम में विकसित किया गया है। चीन में इस बीमारी का पता चलने के बाद केपीडब्ल्यू रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस वैक्सीन को विकसित करने में जी-जान से लगे थे। 

वैक्सीन का कोड नेम है mRNA-1273 

इस वैक्सीन को कोड नेम mRNA-1273 दिया गया है। अमेरिका ही नहीं दुनियाभर के कई देश कोरोना वायरस का टीका बनाने में लगे हैं। इसमें रूस चीन और साउथ कोरिया शामिल है।

इस रिसर्च के लिए 18 से 55 साल के लोगों का चयन किया गया है। बाद में इनका ब्लड सैंपल लेकर पता किया जाएगा कि टीके का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है। दरअसल यह वैक्सीन भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली है। डॉक्टरों ने बताया कि इस टीके से संक्रमण का खतरा नहीं है क्योंकि इसका प्रोटीन ह्यूमन सेल के संपर्क में नहीं आता है।

ट्रंप ने कहा- गॉड ब्लेस US

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कामयाबी के लिए अपने देश के डॉक्टरों की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जा चुका है, यह दुनियाभर में अब तक सबसे जल्दी विकसित किया गया टीका है। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बीमारी के खिलाफ एंटी वायरल और दूसरे थेरेपी भी विकसित करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है कि गॉड ब्लेस US। दरअसल, कोरोना वायरस के आतंक को देखते हुए पहले ही नेशनल इमरजेंसी लागू की जा चुकी है। 

अमेरिका में हो चुकी हैं 87 मौतें 

अमेरिका में अब तक कोरोना के कारण कुल 87 मौतें हो चुकी हैं। वहीं अगर पिछले 24 घंटों का आंकड़ा उठाकर देखें तो अमेरिका में 19 नई मौतें हुई है। आपको बता दें कि अमेरिका में 4 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित है। राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम वैक्सीन बनाने पर तेजी से काम कर रहे हैं। हमने इसके पहले चरण का काम पूरा कर लिया। 

अब तक 7000 से ज्यादा शिकार

बता दें कि कोरोना वायरस अबतक दुनिया भर में 7000 से ज्यादा लोगों को शिकार बन चुका है। चीन के वुहान शहर से शुरू हुई ये बीमारी दुनिया के 145 देशों तक फैल चुकी है, लेकिन इसका अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। जिसके कारण कोरोना पर लगाम कस पाना मुश्किल होता जा रहा है।

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