अंक ज्योतिष का चलन भले ही अभी अधिक हो रहा है, लेकिन ये एक प्राचीन विधा है जो भारत से ही शुरू हुई थी। धीरे-धीरे ये दूसरों देशों में चली गई। इसका संबंध ग्रहों से भी है, इसी के अनुसार प्रीडिक्शन किया जाता है।
अंक ज्योतिष भी अन्य विधाओं की तरह ही लोगों के भविष्य के बारे में बताता है। वैसे तो ये एक प्राचीन विधा है, लेकिन इसका चलन वर्तमान में अधिक हो रहा है। इस पर अप्रत्यक्ष रूप से वैदिक ज्योतिष का भी प्रभाव है।
अंक शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह एक ग्रह का प्रतिनिधि है। उसके अनुसार अंक 1 सूर्य का, अंक 2 चंद्रमा का, अंक 3 देवगुरु बृहस्पति का, अंक 4 राहु का है। इसी तरह अन्य अंक भी किसी न किसी ग्रह से संबंधित हैं।
अंक ज्योतिष भी वैदिक ज्योतिष की तरह ही काम करता है। समय के अनुसार इसका चलन भी धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। हर ग्रह का एक प्रतिनिधि ग्रह होता है, उसी के अनुसार उस अंक से जुड़े लोगों का नेचर और फ्यूचर होता है।
अंकों को वैदिक ज्योतिष के विभिन्न तथ्यों से जोड़कर भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताना ही अंक ज्योतिष कहलाता है। इसमें 1 से लेकर 9 तक सभी अंक किसी न किसी ग्रह से प्रभावित होते हैं।
अंक ज्योतिष का महत्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। हमारे देश में भी लोग अक ज्योतिषियों पर भरोसा करने लगे हैं। अंक ज्योतिष भी अप्रत्यक्ष रूप से वैदिक ज्योतिष से ही प्रभावित है। इसे न्यूमरोलॉजी भी कहते हैं।
अंक ज्योतिष से ही हमारी कई तरह की परेशानियों का हल जाना जा सकता है। अंक हर तरह से हमारे लिए उपयोगी है, इनके बिना जीवन बहुत मुश्किल हो सकता है। अंक ज्योतिष को ही अंग्रेजी में न्यूमरोलॉजी कहते हैं।
अंक हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। इनके बिना हमारा जीवन लगभग असंभव है। वैसे तो अंकों का चलन पुरातन समय से ही है, लेकिन वर्तमान में इसका महत्व बढ़ता ही जा रहा है।
अंक ज्योतिष भी भविष्य जानने की एक विधा है। भारत में इसका चलन काफी पहले से ही लेकिन वर्तमान में इसका प्रचार-प्रसार लगातार बढ़ रहा है, जिससे इसकी उपयोगिता में भी लगातार इजाफा हो रहा है।
अंक ज्योतिष का चलन वर्तमान समय में बढ़ता ही जा रहा है। इसका कारण इसकी सटीक प्रीडिक्शन है। इसका विधा का मुख्य आधार जन्म तारीख यानी डेट ऑफ बर्थ है। इसी को जोड़कर मूलांक, जन्मांक और नामांक निकाला जाता है।