टैरो कार्ड की बात करें तो इसका शुरुआत लगभग 2 हजार साल पहले मानी जाती है। यह विधा 1971 से अधिक प्रचलन में तब आई, जब इटली में इसे मनोरंजन के रूप में अपनाया गया। वर्तमान समय में भारत में काफी बढ़ चुका है।
टैरो कार्ड से कोई भी व्यक्ति अपने भूत भविष्य एवं वर्तमान के विषय में आसानी से जान सकता है। यह ज्योतिष का ही एक प्रकार है। टैरो कार्ड रीडिंग में कुल 78 टैरो कार्ड का प्रयोग किया जाता है। यह सभी दो भागों में विभाजित होते है।
टैरो कार्ड्स का टैरो शब्द टैरोटी से आया है। इसका मतलब कार्ड्स के पीछे दिखने वाली क्रॉस लाइन से होता है। टैरो कार्ड में कुल 78 कार्ड्स होते है जिन्हे दो भागों में बांटा गया है। पहला मेजर आर्काना और दूसरा माइनर आर्काना है।
टैरो कार्ड्स ताश के पत्तों की तरह दिखाई देते हैं। टैरो कार्ड के ऊपर कुछ रहस्यमय प्रतीकात्मक चिह्न बने होते हैं जो भविष्य में होने वाली घटनाओं को ओर इशारा करते हैं। जब कोई व्यक्ति प्रश्न पूछता है तो इन्हीं चिह्नों के आधार पर उनका उत्तर दिया जाता है।
टैरोट कार्ड पंच तत्वों के आधार पर कार्य करता है। इसके ऊपर कुल सभी पंच तत्वों को दिखाया जाता है जो कि पृथ्वी, आकाश, अग्नि, हवा और पृथ्वी हैं। टैरोट कार्ड के कार्ड्स पर बने ये सभी तत्व व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाने मे सहायता करते हैं।
टैरोट कार्ड रीडिंग ज्योतिष का ही एक अभिन्न अंग है। ज्योतिष का अर्थ होता है विभिन्न तरह के तथ्यों को जोड़कर किसी भी व्यक्ति का एक संभावित भविष्य निर्धारित करना। ज्योतिष के विभिन्न अंग जैसे अंक ज्योतिष, रेखा ज्योतिष हैं। टैरोट कार्ड रीडिंग भी ज्योतिष का ही एक अभिन्न अंग है।
टैरो कार्ड रीडिंग के मदद से आप अपने जीवन में हो रही घटनाओं के विषय में जान सकतें है। इससे न केवल भविष्य एवं वर्तमान बल्कि बीत गई बातों के विषय में भी जान सकतें है। इस प्रक्रिया में एक कार्ड चुनकर अपना प्रश्न पूछा जाता है, उसी के आधार पर आपको जबाव दिया जाता है।
जिस तरह भविष्य जानने के लिए जन्म कुंडली, हस्तरेखा और अंक ज्योतिष का सहारा लिया जाता है। उसी तरह टैरो कार्ड्स भी भविष्य जानने का एक माध्यम है। वर्तमान में ये विधा बहुत प्रचलित हो रही है। इसमें ताश के पत्तों की तरह एक सेट होता है जिस पर कई चिह्न होते हैं।
टैरो कार्ड्स पर अंक, रंग, संकेत तथा पंचतत्व दर्शाए गए होते हैं, जिनके आधार पर भविष्य का अनुमान लगाया जाता है। टैरो कार्ड रीडिंग को सबसे पहले चौदहवीं शताब्दी में इटली में मनोरंजन के माध्यम के तौर पर अपनाया गया था।
इंदौर की फेमस एस्ट्रोलॉजर, वास्तु एंड टैरो कार्ड एक्सपर्ट भूमिका कलम के अनुसार, टैरो कार्ड के इतिहास की बात करें तो ज्योतिष की इस विधा की शुरुआत लगभग 2 हजार साल पहले हुई थी। सेल्टिक नामक देश के लोगों द्वारा सर्वप्रथम इस विद्या से भविष्य जानने का प्रयास किया जाता था।