CCPA Fine on Drishti IAS: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने दृष्टि IAS पर यूपीएससी 2022 रिजल्ट को लेकर भ्रामक विज्ञापन देने के आरोप में 5 लाख का जुर्माना लगाया है। जानिए दृष्टि IAS के झूठे दावों और विज्ञापन के बारे में।

Drishti IAS Misleading Advertisement: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने देश के जाने-माने कोचिंग संस्थान दृष्टि IAS पर बड़ा एक्शन लिया है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के रिजल्ट को लेकर भ्रामक विज्ञापन देने के आरोप में CCPA ने संस्थान पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जानिए क्या है भ्रामक विज्ञापन का पूरा मामला।

क्या है Drishti IAS भ्रामक विज्ञापन का पूरा मामला?

रिपोर्ट के अनुसार दृष्टि IAS ने अपने प्रचार में दावा किया था कि उसके 216 से ज्यादा छात्रों का चयन यूपीएससी परीक्षा में हुआ है। लेकिन जांच के बाद पता चला कि यह दावा अधूरा और भ्रामक था। दरअसल, इनमें से ज्यादातर छात्रों ने सिर्फ संस्थान के फ्री इंटरव्यू प्रैक्टिस प्रोग्राम में हिस्सा लिया था, न कि मुख्य कोर्स में। जांच में सामने आया कि 216 उम्मीदवारों में से 162 छात्र (करीब 75%) सिर्फ इंटरव्यू प्रैक्टिस प्रोग्राम में जुड़े थे, जबकि सिर्फ 54 छात्रों ने संस्थान के अन्य कोर्स किए थे। यानी, संस्थान ने वास्तविक जानकारी छिपाकर अभ्यर्थियों और उनके परिवारों को गुमराह किया।

दृष्टि IAS पर पहले भी लग चुका है जुर्माना

यह पहली बार नहीं है जब दृष्टि IAS पर झूठे विज्ञापन का आरोप लगा हो। सितंबर 2024 में भी संस्थान पर इसी तरह की गलत जानकारी फैलाने के लिए 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। उस समय भी यूपीएससी सीएसई 2021 के नतीजों को लेकर संस्थान ने बड़ा दावा किया था, जो गलत साबित हुआ।

झूठे विज्ञापन में क्या करते हैं कोचिंग संस्थान, इससे क्या पड़ता है असर?

झूठे विज्ञापन का मतलब है कि कई कोचिंग संस्थान विज्ञापन में ऐसी अहम जानकारियां छिपा देते हैं, जैसे-

  • छात्र ने कौन-सा कोर्स किया था
  • कब एडमिशन लिया था
  • कितने समय तक तैयारी की थी
  • इससे माता-पिता और अभ्यर्थी गलतफहमी में आ जाते हैं और मान लेते हैं कि पूरी सफलता सिर्फ उस कोचिंग की वजह से मिली है। ऐसे दावे छात्रों के साथ-साथ परिवारों को भी झूठी उम्मीदें देते हैं।

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झूठे विज्ञापन मामले में अब तक कितने कोचिंग संस्थान पर कार्रवाई हुई?

CCPA के अनुसार, अब तक 54 कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापन के लिए नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इनमें से 26 संस्थानों पर कुल 90.6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। प्राधिकरण का कहना है कि सभी संस्थानों ने अपने प्रचार में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के हिसाब से गलत है।

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