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बॉलीवुड में कई दशकों से रहा इन खानदानों का दबदबा, कपूर से खान तक शामिल हैं ये 12 परिवार
मुंबई। 'बरसात', 'श्री 420', 'बॉबी', 'राम तेरी गंगा मैली' सहित बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में देने वाले शोमैन राज कपूर (Raj Kapoor) की आज (14 दिसंबर) 96वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 1924 में आज ही के दिन पेशावर के किस्साख्वानी बाजार में पैदा हुए राज कपूर का असली नाम सृष्टिनाथ कपूर था। राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर ने भारत की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' (1931) में काम किया था। चूंकि राज कपूर के पिता फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे इसलिए उन्हें भी फिल्मों में आने के लिए खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी। राज कपूर ने 1935 में मात्र 11 साल की उम्र में फिल्म 'इंकलाब' में काम था। बाद में राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर समेत कई एक्ट्रेसेस को सिल्वर स्क्रीन पर लॉन्च किया। तब से कपूर खानदान का दबदबा फिल्म इंडस्ट्री में आज भी है। वैसे, इस बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता कि बॉलीवुड में कुछ 'खानदानों' का दबदबा हमेशा रहा है। इनमें कपूर खानदान से लेकर कई परिवार शामिल हैं। इस पैकेज में हम बता रहे हैं बॉलीवुड के कुछ ऐसे ही खानदानों के बारे में।
| Published : Dec 14 2020, 01:31 PM IST
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कपूर खानदान की शुरुआत तो वैसे राजकपूर के पिता स्वर्गीय पृथ्वीराज कपूर से मानी जाती है। उन्हीं के नाम पर पृथ्वी थिएटर बना था। हालांकि बाद में उनके बेटों राज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर ने इसे आगे बढ़ाया। अब करीना, करिश्मा और रणबीर कपूर जैसे एक्टर्स कपूर खानदान की चौथी पीढ़ी के कलाकार हैं।
अनिल कपूर के पिता सुरिंदर कपूर ने बतौर प्रोड्यूसर 1972 में आई फिल्म शहजादा से करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों को प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया।
सलीम खान ने करियर की शुरुआत बतौर एक्टर 1960 में फिल्म 'बरात' से की थी। उन्होंने करीब 14 फिल्मों में बतौर एक्टर काम किया और इसके बाद स्क्रिप्ट राइटिंग करने लगे।
धर्मेन्द्र को बॉलीवुड में 6 दशक हो चुके हैं। हालांकि अब वो फिल्मों से दूर हैं, लेकिन उनके बच्चे एक्टिव हैं। धर्मेन्द्र ने करियर की शुरुआत 1960 में आई फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से की थी।
काजोल की नानी शोभना ने करियर की शुरुआत 40 के दशक में की थी। उन्होंने बाद में डायरेक्टर कुमारसेन समर्थ से शादी कर ली। उनके बाद उनकी दोनों बेटियां नूतन और तनुजा भी फिल्मों में आ गईं।
राजेश खन्ना के करियर की शुरुआत भी 60 के दशक में हुई थी। उनकी पहली फिल्म 'आखिरी खत' थी, जो 1966 में आई थी। हालांकि उन्हें पहचान 1969 में आई मूवी 'आराधना' से मिली थी।
जितेन्द्र ने करियर की शुरुआत 60 के दशक में की थी। उनकी पहली फिल्म 'नवरंग' थी लेकिन बतौर एक्टर उन्हें पहचान 1964 में आई 'गीत गाया पत्थरों ने' से मिली।
आमिर खान के पिता ताहिर हुसैन ने बतौर प्रोड्यूसर 1971 में फिल्म कारवां से करियर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में बनाईं। तीन फिल्मों में उन्होंने बतौर एक्टर काम किया है।
फिल्म इंडस्ट्री में रोशन खानदान की शुरुआत राकेश रोशन के पिता रोशन लाल नागरथ से मानी जाती है। वो म्यूजिक कम्पोजर थे। उन्होंने 50 के दशक में करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बावरे नैन, मल्हार, अनहोनी, चांदनी चौक, बरसात की रात, दिल ही तो है, चित्रलेखा और बहू बेगम जैसी फिल्मों में म्यूजिक दिया है।
शर्मिला टैगोर ने भी करियर की शुरुआत 60 के दशक में बंगाली फिल्मों से की थी। उनकी पहली हिंदी फिल्म 1964 में आई 'कश्मीर की कली' थी।
डेविड धवन ने बतौर डायरेक्टर करियर की शुरुआत 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से की। उनकी आखिरी फिल्म 'कुली नंबर 1' है, जिसे उन्होंने बेटे वरुण धवन और सारा अली खान के साथ बनाया है।
यश चोपड़ा और उनके भाई बीआर चोपड़ा ने कई यादगार फिल्मों का निर्माण किया। इनमें धूल के फूल, दाग, सिलसिला, चांदनी, लम्हे, डर, दिल तो पागल है, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और वीर-जारा प्रमुख हैं। वहीं बीआर चोपड़ा ने मशहूर सीरियल महाभारत भी बनाया।