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बैंक की नौकरी से छुट्टी लेकर शुरू की थी UPSC की तैयारी, दूसरे प्रयास में ही IPS बनेंगे अभिषेक सिंह
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सीनियर बनें आईएएस तो बढ़ा आत्मविश्वास
अभिषेक का बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना था। उनके इस सपने को तब ज्यादा बल मिला, जब सैनिक स्कूल लखनऊ में पढ़ाई के दौरान उनके एक सीनियर छात्र का यूपीएससी में चयन हुआ, वह आईएएस बनें। उनके चयन के बाद अभिषेक का आत्मविश्वास बढ़ा, क्योंकि अब तक उन्होंने सिर्फ सुना था कि उनके स्कूल के कई पूर्व छात्र आईएएस व आईपीएस हैं लेकिन पहली बार उन्होंने अपने सीनियर छात्र को आईएएस बनते देखा। जिन्हें वह व्यक्तिगत तौर पर जानते थे, तो उनमें यह विश्वास जगा कि यदि वह प्रयास करें तो उनका भी चयन हो सकता है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनके मन में सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी को लेकर, जो अनिश्चितता थी, सीनियर के आईएएस बनने की खबर के बाद उसकी जगह यूपीएससी में तैयारी के संकल्प ने ले ली और यहीं से अभिषेक की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का सफर शुरू हुआ।
मोटिवेशन से ज्यादा अनुशासन जरूरी
हमेशा अपने प्रयासों को लेकर ईमानदार रहिए। आप सेल्फ असेसमेंट करते रहिए। हमेशा माइक्रो लेवल पर टारगेट बनाइए। जो भी काम करना चाहते हैं, उसे छोटे भागों में विभाजित कर लीजिए। इससे टारगेट छोटा दिखने लगता है। किसी भी मोटिवेशन से ज्यादा जरूरी इस तैयारी में अनुशासन है। कोई मोटिवेटेड होगा तो हो सकता है कि वह एक महीने 10 की जगह 16 घंटे पढ़ लेगा पर जो अनुशासित होगा। वह नियमित 10 से 12 घंटे पढ़ाई करेगा। अपनी क्षमता को कभी कम करके नहीं आंकना चाहिए। टारगेट हमेशा बड़े रखने चाहिए। लक्ष्य कभी कमतर नहीं रखने चाहिए।
खुद के लिए निकालें आधे घंटे का समय
किसी को कॉपी मत करिए। अपनी ताकत और कमजोरी को देखते हुए अपनी रणनीति बनाइए। अपनी बुकलिस्ट कम करके रखिए। ताकि उसको बार बार रिवाइज कर पाएं। योगा, मेडिटेशन या व्यायाम के लिए आधे घंटे का समय जरूर निकालें। समयबद्ध लक्ष्य बनाइए और उसी के अनुसार आगे बढ़िए। यह मत सोचिए की आपका चयन होगा या नहीं। बल्कि आप परीक्षा की तैयारी में जुटे रहिए। छोटी-छोटी चीजों को अमल में लाते जाएंगे तो लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाएंगे।
इन्हें देते हैं श्रेय
स्कूल ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। मां—पिता अध्यापक थे, तो उन्होंने अच्छी वैल्यू दी, साहस बढ़ाया। बड़ी बहन ने काफी सपोर्ट किया। वह हमेशा उन्हें मोटिवेट करती रहीं और उनके साथ संबल बन कर खड़ी रहीं। टीचर्स ने भी उनका मनोबल बढ़ाया। दोस्तों ने उन पर विश्वास जताया। जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। अभिषेक अपनी सफलता का श्रेय परिवार, टीचर्स और दोस्तों को देते हैं।
इंटरव्यू के लिए ली थी दो दिन की छुट्टी
अभिषेक इंटरव्यू के समय ट्रेनिंग में थे। इंटरव्यू के लिए उन्होंने दो दिन की छुट्टी ली थी। उनका कहना है कि आप बोर्ड के सामने ईमानदारी से पेश आएं। बोर्ड को आपके अंदर ईमानदारी दिखेगी तो वह आपको अपनी तरफ से मान्यता प्रदान करेंगे। यदि आप सही हैं और सही तरीके से सोचते हैं तो किसी चीज को मैनीकुलेट करने की जरूरत नहीं है।
मकसद के बारे में सोचते हैं तो दृष्टिकोण लेता है व्यापक रूप
अभिषेक सिंह के लिए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का समय चुनौतीपूर्ण था। वह मानसिक स्तर पर थोड़ा भारीपन महसूस करते थे, तो सोचते थे कि वह तैयारी करने क्यों आये? उनका कहना है कि जब आप अपने मकसद के बारे में सोचते हैं, तब आप छोटी—छोटी मुश्किलों को नजरअंदाज करने लगते हैं। आपका दृष्टिकोण व्यापक रूप ले लेता है। मतलब यह है कि लक्ष्य प्राप्ति के दौरान उतार-चढ़ाव हमेशा आते रहते हैं। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इस प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उस दौरान खुद को कैसे व्यवस्थित व अनुशासित रख सकते हैं। यूपीएससी परीक्षा में चयनित होने तक की यात्रा लंबी है। यदि कोई अभ्यर्थी पहली बार यूपीएससी में चयनित होता है तो भी इस पूरी प्रक्रिया में दो साल तक लग जाते हैं।
पॉजिटिव बने रहें, यही बना मोटिवेशन
जब आप मध्यमवर्गीय परिवार से हों, जहां परिस्थितियों के साथ आर्थिक स्थिति हमेशा चुनौतीपूर्ण होती है और जल्द से जल्द सेटल होने की भावना बलवती रहती है। ऐसे में अभिषेक के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी छोड़कर तैयारी करने का निर्णय आसान नहीं था। जब वह नौकरी कर रहे थे, तब वह आर्थिक तौर पर सुरक्षित महसूस करते थे। उनका कहना है कि नौकरी छोड़कर तैयारी करने का निर्णय आसान नहीं था। खासकर खुद को यह विश्वास दिलाना कि यह हो जाएगा और लक्ष्य प्राप्ति तक खुद पर यह विश्वास बनाए रखना भी आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपने इस संघर्ष के नकारात्मक पहलू की तरफ कभी नहीं देखा। हमेशा सकारात्मक बने रहें। यही उनका मोटिवेशन रहा और उनकी यूपीएससी परीक्षा की यात्रा में एक उत्प्रेरक की तरह काम करता रहा।
बैंक की नौकरी से लीव लेकर शुरू की थी तैयारी
अभिषेक सिंह ने बीबीडी लखनऊ से वर्ष 2015 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और जुलाई 2015 से अक्टूबर 2018 तक एसबीआई में प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर नौकरी की। बैंक की तीन साल की जॉब के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि उनका सपना बचपन से सिविल सर्विस ज्वाइन करने का था। उसके उलट बैंकिंग सेक्टर में ही जॉब करते हुए उनका समय बीत रहा है तो वह बैंक से छह महीने के लिए एक्स्ट्रा आर्डिनरी लीव लेकर यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।
कभी नीरस तरीके से नहीं की पढ़ाई
अपनी पढ़ाई के शुरुआती दिनों से ही अभिषेक सोशल एक्टिविटी में शामिल रहते थे। सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें इसके काफी अवसर भी मिले। स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन रहे। स्पोर्टस कमेटी के कैप्टन भी बनें। कॉलेज में कल्चरल कमेटी के मुखिया थे। उन्होंने कभी नीरस तरीके से पढ़ाई नहीं की। सामाजिक तौर पर उन्होंने देखा कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काफी काम किया जा सकता है। इन्हीं वजहों से उनका रूझान सिविल सर्विसेज की तरफ ज्यादा रहा।
मुंबई में थे डिप्टी मैनेजर
यूपी के मऊ जिले के सदर तहसील क्षेत्र के रतनपुरा निवासी अभिषेक सिंह की प्रारंभिक पढ़ाई रतनपुरा स्थित एवरग्रीन पब्लिक स्कूल से हुई। यहां पांचवीं तक पढ़ाई के बाद सैनिक स्कूल, लखनऊ में उनका दाखिला हुआ। वहां से इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उन्होंने बीबीडी इंजीनियरिंग कॉलेज, लखनऊ से 2015 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर सिलेक्ट हुए। 2017 में उनकी नियुक्ति मुंबई में डिप्टी मैनेजर के पद पर हुई थी। उनके पिता बालमुकुंद सिंह और मां ऊषा सिंह गवर्नमेंट स्कूल में टीचर हैं। बड़ी बहन अर्चना सिंह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बेंगलुरु में ब्रांच मैनेजर हैं।
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