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टीम इंडिया में रहा-फिल्मों में की एक्टिंग, लेकिन आज इस वजह से पाई-पाई को तरस रहा ये क्रिकेटर
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विनोद कांबली और सचिन तेंडुलकर स्कूल के दिनों से ही दोस्त हैं। दोनों ने हैरिस शील्ड ट्रॉफी में 664 रनों की पार्टनरशिप से क्रिकेट जगत में तूफान ला दिया था। इस साझेदारी में विनोद कांबली ने 349 और सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 326 रन बनाए थे। इस मैच में कांबली ने 37 रन देकर 6 विकेट भी लिए थे।
शायद यही वजह थी कि एक समय इन दोनों खिलाड़ियों के गुरु रहे रमाकांत आचरेकर, सचिन से कहीं ज्यादा टैलेंटेड विनोद कांबली को मानते थे। हालांकि, क्रिकेट की दुनिया में सचिन आगे चलकर इस खेल के भगवान कहलाए तो वहीं विनोद कांबली का करियर धीरे-धीरे खत्म हो गया और आज वो काम ढूंढ रहे हैं।
डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार खेल की बदौलत कांबली को टीम इंडिया में खेलने का मौका मिला। उनकी शुरुआत भी अच्छी रही और शुरुआती 7 टेस्ट मैचों में उनके नाम चार शतक थे। इसके साथ ही वो टेस्ट मैचों में सबसे तेज एक हजार रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने।
इतना ही नहीं, विनोद कांबली की पर्सनल लाइफ में भी काफी उथल-पुथल मची। कांबली की पहली पत्नी नोएला लैविस थीं, जो पुणे के ब्लू डायमंड होटल में रिसेप्शनिस्ट थीं। हालांकि, शादी के कुछ साल बाद ही नोएला से कांबली का तलाक हो गया।
इसके बाद कांबली ने फैशन मॉडल एंड्रयू हैविट से शादी की। जून, 2010 में दोनों एक बच्चे के पेरेंट्स बने। हैविट से शादी के बाद कांबली ने क्रिश्चियन धर्म अपना लिया और अपने बेटे का नाम जीसस क्रिस्टियानो कांबली रखा।
कांबली को लेकर कहा जाता है कि शुरुआत में ही मिली कामयाबी से उनका जो स्टारडम बना उसे वो संभाल नहीं पाए। इसके अलावा उनकी कुछ बुरी आदतों और व्यवहार की वजह से धीरे-धीरे उनका करियर खत्म हो गया। टीम से बाहर होने के बाद भी उन्हें 9 बार वापसी का मौका मिला, लेकिन एक बार भी वो खुद को साबित नहीं कर पाए।
क्रिकेट करियर खत्म होने के बाद विनोद कांबली ने बॉलीवुड में भी किस्मत आजमाने की कोशिश की, लेकिन भाग्य ने यहां भी उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने 2002 में अनर्थ, 2009 में पल-पल दिल के साथ और 2015 में कन्नड़ फिल्म बेट्टानगेरे में काम किया। वो बिग बॉस में भी पहुंचे। लेकिन उन्हें यहां भी कामयाबी नहीं मिली।
29 नंवबर, 2013 में कांबली को दिल का दौरा पड़ने पर मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। चेंबूर से बांद्रा जाते वक्त अचानक उनके सीने में दर्द उठा था, जिसके बाद उन्हें आननफानन में अस्पताल ले जाया गया था।
विनोद कांबली ने क्रिकेट और फिल्मों के अलावा पॉलिटिक्स भी ज्वॉइन की, लेकिन यहां भी किस्मत उनसे रूठी रही। उन्होंने भक्ति-शक्ति पार्टी ज्वॉइन की और इसके उपाध्यक्ष बने। 2009 में उन्होंने विकरोली से लोक भारती पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2011 में कांबली ने अन्ना हजारे के आंदोलन का समर्थन किया था।
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