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सिंघु बॉर्डर पर मर्डर: कौन हैं ये निहंग सिख, कभी सुनाए जाते थे बहादुरी के किस्से, अब इन वजहों से विवादों में
नई दिल्ली। सिंघु बॉर्डर पर एक युवक की नृशंस हत्या (Singhu Border Murder) करने के बाद शव को किसान आंदोलन (Farmer Protest) के मंच के सामने लटका दिया गया। इसकी हत्या का आरोप निहंग सिखों (Nihang Sikho) पर लगा है। सालभर से ये निहंग सिख किसान आंदोलन के हिस्सा बने हैं। ये वही निहंग सिख हैं, जो कभी गुरु गोबिंद सिंह की फौज के हिस्सा रहे और इनके बहादुरी के किस्से सुनाए जाते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से निहंग सिख गलत वजहों से चर्चा में आ रहे हैं। आईए जानते हैं कौन हैं निहंग सिख और क्या है इनका इतिहास...

गुरु गोबिंद की फौज में बहादुरी के किस्से
किसान आंदोलन में शामिल होने और अब युवक की बेरहमी से हत्या के बाद सबसे पहला सवाल यह उठता है कि आखिर निहंग सिख कौन हैं? उनका इतिहास क्या है? दरअसल, यह पुराने सिख योद्धाओं से निकला एक समूह है। कहा जाता है कि 1699 में जब गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा बनाया गया तो उसके साथ ही निहंग सिखों की भी उत्पत्ति हुई। ये लोग आज भी धर्म-संप्रदाय से जुड़ी जगहों पर रहते हैं।
संन्यास जैसी जीवनशैली, खालसा पंथ के लिए कट्टर...
निहंग सिखों को उनके युद्ध कौशल और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के लिए जाना जाता है। ये सिखों के परंपरागत परिधान और हथियारों के साथ रहते हैं। निहंग शब्द का अर्थ उन योद्धाओं से जुड़ता है जिन्हें कोई भी फर्ज की लड़ाई में ना रोक सके। जानकार बताते हैं कि निहंग सिख आज भी आम जीवन से इतर संन्यास जैसी जीवनशैली का पालन करते हैं और हमेशा परंपरागत हथियारों के साथ खालसा पंथ के परिधानों में ही कहीं पर जाते हैं। निहंग सिखों को आम सिखों की अपेक्षा खालसा पंथ के लिए ज्यादा कट्टर माना जाता है।
सच्चा निहंगा मानवता के हित में बुरी शक्तियों के लिए अंतिम सांस तक लड़ता
सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद सिंह ने सिखों के लिए मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग को जरूरी माना था और इसीलिए सिखों की एक विशेष परमात्म फौज भी तैयार की गई। बाद में सभी के लिए मीरी और पीरी दो विचार जरूरी माने गए। मीरी का अर्थ मार्शल आर्ट्स से था और पीरी बौद्धिक शक्तियों के लिए प्रयोग होने वाला शब्द है। सच्चा निहंग उसे ही कहा जा सकता है जो कि मानवता के हित में बुरी शक्तियों से अंतिम सांस तक लड़े।
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पौराणिक और कट्टर सेनानी के तौर पर पहचाने गए
निहंगों ने 17वीं/18वीं शताब्दी में मुगल और अफगान घुसपैठ का मुकाबला किया। निहंगों ने अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली का जमकर सामना किया था। लेखक और इतिहासकार पटवंत सिंह निहंगों को पौराणिक और कट्टर सेनानियों के रूप में वर्णित करते हैं, जिन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के समय से अब तक कई युद्ध जीते।
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1849 में सरकार-ए-खालसा के पतन ने प्रभाव कम किया
1818 में महाराजा रणजीत सिंह के सरकार-ए-खालसा बनने का श्रेय काफी हद तक निहंग योद्धाओं को जाता है। ‘सिखों का इतिहास' में खुशवंत सिंह ने लिखा है- 'मुल्तान की विजय ने पंजाब में अफगान प्रभाव को समाप्त कर दिया और दक्षिण में मुस्लिम राज्यों के ठोस आधार को तोड़ दिया और इसने सिंध का रास्ता खोल दिया।' 1849 में ब्रिटिश साम्राज्य के वक्त में सरकार-ए-खालसा के पतन ने निहंगों के प्रभाव को भी कम कर दिया था।
निहंग का क्या मतलब है?
संस्कृत, फारसी, श्रीगुरु ग्रंथ साहिब से इसके कई अर्थ निकलते हैं। जैसे गुरु शब्द में इसका मतलब तलवार, घड़ियाल/मगरमच्छ, घोड़ा आदि है। वहीं गुरु ग्रंथ साहिब में इसका मतलब एक जिद्दी निडर (निशंक) व्यक्ति है।
पोशाक, हथियार भी होते हैं खास
• नीले कपड़े, योद्धा शैली की पगड़ी जिसमें अर्धचंद्राकार, दोधारी तलवार बैज हो।
• तलवार।
• जंगी कड़ा या लोहे का कंगन।
• करतार या कमरबंद खंजर।
• ढाल।
• युद्ध के जूते।
• टोधादार बन्दूक या राइफल।
वर्तमान समय के निहंग के तीन मंडल हैं. इसमें तरुना दल (युवा बल) और बुद्ध दल (बुजुर्ग बल) शामिल हैं, इनके अलावा कुछ ऐसे भी हैं जिनपर कोई केंद्रीकृत नियंत्रण नहीं है।
विवादों से जुड़ा है निहंग सिखों का नाम
• निहंगों पर भांग आदि के सेवन के आरोप लगते हैं, जिनकी सिख धर्म में मनाही है. लेकिन निहंग परंपरा का हवाला देते हुए इसके उपयोग को सही ठहराते हैं।
• सिख बुद्धिजीवियों का मानना है कि वर्तमान निहंगों में से कई सिख आचार संहिता की तुलना में बाहरी ड्रेस कोड पर अधिक जोर देते हैं।
• आरोप है कि आपराधिक तत्व, भूमाफिया अब निहंगों से जुड़ गए हैं, जिससे दिक्कतें बढ़ी हैं। वर्तमान में कुछ निहंग प्रथाएं मुख्यधारा की सिख परंपराओं के विपरीत हैं।
• कोराना लॉकडाउन के वक्त पटियाला में पुलिस ने निहंग सिखों को रोका तो उन्होंने हमला कर दिया था। यहां तक कि कुछ निहंग सिख ASI का हाथ काटकर फरार हो गए थे।
• दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों के दिल्ली मार्च के वक्त प्रदर्शन में भी कई वीडियोज ऐसे आए थे जिसने निहंगों पर सवाल खड़े किए थे।
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