MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Viral
  • रंगीन सपने ले बिहार से निकलते हैं मजदूर, मात्र 75 रुपए के लिए पूरे दिन जानवरों की तरह करते हैं काम

रंगीन सपने ले बिहार से निकलते हैं मजदूर, मात्र 75 रुपए के लिए पूरे दिन जानवरों की तरह करते हैं काम

हटके डेस्क: 8 दिसंबर को सुबह नई दिल्ली के मंडी बाजार में लगी भीषण आग में कई मजदूर जिंदा जलकर काल के गाल में समा गए। इस आग में मरने वाले ज्यादातर लोग बिहार से फैक्ट्री में काम करने आए मजदूर थे। बता दें कि एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में आठ सौ करोड़ से ज्यादा मजदूर बिना कॉन्ट्रैक्ट के फैक्ट्रीज में काम करते हैं। इनमें बाल मजदूरों से लेकर बूढ़े मजदूर तक शामिल हैं। खासकर बात अगर बिहार की करें, तो यहां से लोग अपना घर छोड़कर दूसरे राज्यों में काम करने पहुंचते हैं, जहां बेहद मुश्किल हालातों में उन्हें काम करना पड़ता है। आज हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ पल दिखाने जा रहे हैं, जिसे देख आपको उनकी मुश्किल लाइफ का अंदाजा होगा...  

1 Min read
Asianet News Hindi
Published : Dec 08 2019, 01:28 PM IST| Updated : Dec 08 2019, 07:05 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
17
उत्तर प्रदेश के खद्दर में रिसाइक्लिंग फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को पूरे दिन काम करने के बदले मात्र 75 रुपए दिहाड़ी मिलती है।
27
नोएडा के गैस पाइपलाइन के कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम करने वाले मजदूरों को काफी मुश्किल जिंदगी जीनी पड़ती है।
37
कई लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगह काम की तलाश में पहुँचते हैं लेकिन बेरोजगारी के शिकार होकर चंद सिक्कों के लिए जानवर चराने तक का काम करने को तैयार हो जाते हैं।
47
बिहार से मुंबई पहुंचे कई लोग धोबी घाट में कपड़े धोकर अपने परिवार को पालते हैं।
57
चमड़े की फैक्ट्रीज में भी बिहार से पहुंचे कई वर्कर्स काम करते हैं। चूंकि उनके पास कोई डिग्री नहीं होती, ऐसे में कुछ हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद उनसे काम करवाया जाता है। जिसके बदले में उन्हें काफी कम पेमेंट दी जाती है।
67
अहमदाबाद में कई महिलाएं भी पापड़, मिर्ची और अचार बनाने की फैक्ट्रीज में काम करती हैं।
77
वॉटर चेस्ट्नट, जिसे सिंघाड़ा भी कहते हैं, उसे पानी से निकालने वाले मजदूर घंटों पानी में काम करने के बावजूद बेहद कम मेहनताना पाते हैं। (तस्वीरों का इस्तेमाल कहानी को सरलता से कहने के लिए प्रतीकात्मक तौर पर इस्तेमाल किया गया है )

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved