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हिजाब के खिलाफ हिंसक क्रांति: महिलाओं पर कहर, 17 साल की लड़की की नाक काटकर हत्या

तेहरान. ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन(Anti-hijab protests in Iran) लगातार हिंसक होता जा रहा है। ईरान मानवाधिकार समूह( Iran Human Rights group) ने रविवार को दावा किया कि इसमे कम से कम 92 लोग मारे गए हैं। आरोप है कि ईरान की कुख्यात नैतिकता पुलिस(notorious morality police) द्वारा महसा अमिनी(Mahsa Amini) की गिरफ्तारी और मौत के बाद बाद महिलाओं के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर यह कार्रवाई की है। प्रदर्शन 16 सितंबर को तब शुरू हुए थे, जब 13 सितंबर को 22 साल की स्टूडेंट माहसा अमिनी को हिजाब न पहनने के लिए मॉरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 22 साल की कुर्द ईरानी अमिनी को 16 सितंबर को मृत घोषित कर दिया गया था। लगभग तीन वर्षों में ईरान में यह सबसे बड़ा आंदोलन है। इस बीच शनिवार को विरोध प्रदर्शन की अगुआई कर रहीं 17 साल की निका शकरामी( Nika Shakrami) को भी बेरहमी से मार दिया गया। निका की नाक काट दी गई थी। उसके सिर पर 29 घाव थे। 17 साल की निका की मौत के बाद आंदोलन और हिंसक हो उठा है। इस बीच सरकार ने प्रदर्शनकारियों को धमकी दी है कि यदि विरोध बंद नहीं किया, तो नतीजे भुगतने होंगे। आगे पढ़िए पूरी डिटेल्स... 

3 Min read
Amitabh Budholiya
Published : Oct 03 2022, 10:32 AM IST| Updated : Oct 03 2022, 05:10 PM IST
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निका को मोरल पुलिस ने तेहरान के एक बाजार से गिरफ्तार किया था, तब वह अपने दोस्तों के साथ नारे लगा रही थी। इसके बाद वह पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गई। फरार होने के दौरान नीका ने एक दोस्त को फोन पर बताया कि पुलिस उसका पीछा कर रही है। नीका के परिवार को उसकी चिंता थी। उन्होंने तेहरान की हर जेल, हिरासत केंद्र, पुलिस थाने और सार्वजनिक स्थान पर उसकी तलाशी ली। उन्हें नीका के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। बताया जाता है कि शनिवार को पुलिस ने नीका के परिवार को फोन कर उसकी मौत की सूचना दी।

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मीडिया सूत्रों के अनुसार ईरान के सुदूर दक्षिण-पूर्व में शुक्रवार को हुई झड़पों में 41 लोगों की मौत हो गई, जिसमें कहा गया था कि इस क्षेत्र के एक पुलिस प्रमुख ने बलूच अल्पसंख्यक की एक किशोरी के साथ बलात्कार किया था। हिजाब विरोधी प्रदर्शन 164 शहरों तक पहुंच चुका है। यानी 31 राज्यों में इसका असर देखा जा रहा है। 

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यह ईरान में1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। तब महिलाओं को हिजाब से मुक्ति मिली थी। अकेले शनिवार को 150 से अधिक शहरों में प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को ईरान के प्रमुख अति-रूढ़िवादी दैनिक काहान(daily Kayhan) के तेहरान मुख्यालय पर हमला किया, जिसका डायरेक्ट ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई द्वारा नियुक्त किया गया है।

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ईरान ने बाहरी ताकतों पर देशव्यापी विरोध को भड़काने का आरोप लगाया है। खासकर कट्टर दुश्मन संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी सहयोगी देशों पर। ईरान के खुफिया मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और पोलैंड सहित नौ विदेशी नागरिकों को गैरकानूनी विपक्षी समूहों के 256 सदस्यों के साथ दंगों में पीछे से भूमिका निभाने पर गिरफ्तार किया गया था।

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इसलिए ईरान और अमेरिका में पटरी नहीं बैठती
वर्ष 2015 में अमेरिका और ईरान में एक परमाणु समझौता हुआ था। यानी ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते समय दोनों देशों के संबंध थोड़ा सुधरे थे। लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद यह समझौता रद्द कर दिया। इससे दुश्मनी फिर बढ़ गई। अमेरिका ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना चाहता है। हालांकि बिडेन ने इस डील को फिर से लागू करने की कोशिश शुरू की।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने शनिवार को पुष्टि की है कि ईरान ने हिरासत में लिए गए ईरानी-अमेरिकी, 85 वर्षीय बाकर नमाजी को देश छोड़ने की अनुमति दी है और उनके 50 वर्षीय बेटे सियामक नमाजी को नजरबंदी से रिहा कर दिया है। बाकर यूनिसेफ के एक पूर्व अधिकारी हैं जिन्हें फरवरी 2016 में हिरासत में लिया गया था जब वह सियामक की रिहाई के लिए दबाव बनाने के लिए ईरान गए थे, जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था। दोनों को अक्टूबर 2016 में जासूसी का दोषी ठहराया गया था और 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। 
 

About the Author

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Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं

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