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इसे उड़ता 'व्हाइट हाउस' कहते हैं, न्यूक्लियर बम भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जानें 11 फैक्ट
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यूएस प्रेसिडेंट का विमान अब सफेद और नीले रंग का होता है। ये दोनों कलर अमेरिका की ताकत दिखाते हैं। इस विमान को उड़ता व्हाइट हाउस भी कहते हैं। वैसे कहते हैं कि जब कैनेडी प्रेसिडेंट थे, तब वे इसे लाल और नारंगी रंग देना चाहते थे। लेकिन बाद में उसे डिजाइन देने का काम मशहूर इंडस्ट्रियल डिजाइनर रेमंड लोवी को दिया गया। उन्होंने इसे सफेद और नीला रंग दिया। रेमंड ने ही कोका कोला का डिजाइन किया था।
1930 में बोइंग ने मॉडल 314 बनाया था। इसे क्लिपर भी कहते थे। इसकी डिजाइन व्हेल मछली जैसी थी। 1943 में इसी एक विमान में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी रूजवलेल्ट मोरक्को के कासाब्लेंका में ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल से मिलने गए थे। यह पहली बार था, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने हवाई यात्रा की थी।
(तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट का C-54 स्काईमास्टर विमान। इसे द सेक्रेड काऊ कहते थे)
अमेरिकी वायुसेना को लगा कि राष्ट्रपति के लिए कमर्शियल एयरलाइंस का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं रहेगा। तब बोइंग के स्पेशल विमान VC-54C स्काईमास्टर मॉडल बनाने का ऑर्डर दिया गया। इसका नाम रखा गया था सेक्रेड काऊ। यह अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला आधिकारिक एयरक्राफ्ट था। तब प्रेसिडेंट रूजवेल्ट ही थे।
जब हेनरी ट्रूमैन राष्ट्रपति बने तो, उनके लिए VC-118 लाया गया। ट्रूमेन ने इस विमान का नाम अपने शहर इंडिपेंडेंस पर रख दिया। जब कोरिया से युद्ध के दौरान वे इसी विमान में बैठकर जनरल डगलस मैकआर्थर से मिलने पहुंचे थे। मैकआर्थर तब अमेरिकी सेना के प्रमुख थे।
(तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रूमैन के समय का हवाईजहाज)
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान की एक घंट की लागत आती है करीब 1.20 करोड़ रुपए। इसमें क्या फीचर हैं, यह किसी को नहीं पता। ऐसा सिक्योरिटी के मकसद से है।
दावा किया जाता है कि एयरफोर्स वन पर न्यूक्लियर अटैक भी काम नहीं करता या उससे बचा जा सकता है। बताते हैं कि 1960 से ही अमेरिका अपने राष्ट्रपति के लिए ऐसे विमान बनाता रहा है, जो आधुनिक टेक्नोलॉजी से पूर्ण हैं। यानी विमान में बैठकर भी अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध के दौरान सेना को कमांड कर सकते हैं।
दावा किया जाता है कि एयरफोर्स वन पर न्यूक्लियर अटैक भी काम नहीं करता या उससे बचा जा सकता है। बताते हैं कि 1960 से ही अमेरिका अपने राष्ट्रपति के लिए ऐसे विमान बनाता रहा है, जो आधुनिक टेक्नोलॉजी से पूर्ण हैं। यानी विमान में बैठकर भी अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध के दौरान सेना को कमांड कर सकते हैं।
(यह तस्वीर 3 अप्रैल 2009 की तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय की है। विमान के कान्फ्रेंस हॉल में कर्मचारियों से बातचीत करते हुए)
इस विमान में चालक दल के 26 लोगों सहित 102 लोग सफर कर सकते हैं। मौसम कितना भी खराब हो, इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
इसकी टॉप स्पीड 1126 किमी/घंटा है। इसमें एक बार में 53, 611 गैन ईंधन भरा जा सकता है। यह एक बार में 12000 किमी उड़ सकता है। यह जमीन से 45, 100 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें हवा में भी फ्यूल भरा जा सकता है।
विमान में कान्फ्रेंस रूम, डायनिंग रूम और राष्ट्रपति का आफिस है। इसमें राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के लिए अलग-अलग कमरे हैं। जब उपराष्ट्रपति इस विमान में सफर करते हैं, तो उसे एयरफोर्स-2 कहते हैं।
बताते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति अभी जो विमान इस्तेमाल कर रहे हैं, वो 1991 से सर्विस में है। माना जा रहा है कि उसे 2024 में बदल दिया जाएगा। 2020 में जब डॉनाल्ड ट्रम्प भारत आए थे, तब इस विमान की खासी चर्चा हुई थी। ट्रम्प ने 2018 में बोइंग कंपनी से दो एयरफोर्स विमान का करार किया था। एक विमान की कीमत करीब 1500 करोड़ आकी गई थी।
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