सार

समुद्र शास्त्र के अनुसार, ललाट की बात करें तो प्राचीन मुनियों ने ललाट पर सात प्रकार की रेखाएं बताई हैं। ये सात रेखाएं राहू-केतु को छोड़कर बाकी सातों ग्रहों की होती हैं।

उज्जैन. ललाट पर सबसे ऊपर बालों के ठीक नीचे सबसे पहली शनि रेखा होती है। उसके नीचे दूसरी गुरु रेखा, उसके नीचे तीसरी मंगल रेखा, उसके नीचे चौथी सूर्य रेखा, पांचवीं शुक्र रेखा, छठी बुध रेखा और सातवीं सबसे नीचे चंद्र रेखा होती है। इन रेखाओं की स्थिति देखकर व्यक्ति के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है…

1. ललाट के मध्य में गुरु रेखा टेढ़ी तथा वृत्ताकार हो तो व्यक्ति किसी न किसी दुख से घिरा रहता है।
2. गुरु रेखा बीच में टेढ़ी तथा किनारों पर सीधी हो तो व्यक्ति यशस्वी होता है।
3. शनि रेखा टेढ़ी-मेढ़ी हो तो व्यक्ति व्यसनी होता है।
4. जिसके ललाट में तीन रेखाएं सीधी, सरल और स्पष्ट हो वह सौभाग्यशाली होता है।
5. यदि गुरु रेखा छोटी हो तथा शनि रेखा छिन्न भिन्न हो तो व्यक्ति दूसरों की चिंता करने वाला, सम्माननीय होता है।
6. गुरु रेखा सर्पाकार हो तो व्यक्ति लोभी किस्म का होता है।
7. ललाट पर अधिक रेखाएं टूटी-फूटी हो तो व्यक्ति दुर्भाग्यशाली और रोगी होता है।
8. मंगल रेखा छोटी होना दरिद्रता का सूचक है।
9. शनि और गुरु रेखाएं धनुष के आकार की हो तो व्यक्ति दुष्ट प्रकृति का होता है।
10. ललाट पर एक ही रेखा दिखाई दे तो व्यक्ति एक जगह टिककर नहीं रहता। भटकता रहता है।
11. ललाट पर सर्प की आकृति की एक ही रेखा हो तो वह बलवान होता है।
12. सूर्य रेखा वक्राकार हो तो व्यक्ति कठोर स्वभाव वाला होता है।
13. मंगल और सूर्य रेखा सर्पाकार हो तो व्यक्ति धनहीन होता है।

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