सार

Aaj Ka Panchang: 14 सितंबर बुधवार को दिन भर भरणी नक्षत्र रहेगा। बुधवार को भरणी नक्षत्र होने से काण नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इसके अलावा ध्रुव और व्याघात नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। 

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण, इन पांच अंगों के योग से पंचांग बनता है। वर्तमान में कई तरह के पंचांग बाजार में आसानी से मिल जाते है, इनका आधार भी अलग-अलग ही होता है। वर्तमान में विक्रम संवंत से संबंधित पंचांग ही सबसे ज्यादा सटीक है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…

14 सितंबर का पंचांग (Aaj Ka Panchang 14 september 2022)
14 सितंबर 2022, दिन बुधवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि सुबह 10.25 तक रहेगी, इसके बाद पंचमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। बुधवार को दिन भर भरणी नक्षत्र रहेगा। बुधवार को भरणी नक्षत्र होने से काण नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इसके अलावा ध्रुव और व्याघात
नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल दोपहर 12:22 से शाम 01:53 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
बुधवार को चंद्रमा मेष राशि में, बुध ग्रह कन्या में (वक्री), सूर्य और शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि निकलना पड़े तो तिल या धनिया खाकर घर से बाहर निकलें।

14 सितंबर के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- बुधवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- भरणी
करण- बालव और कौलव
सूर्योदय - 6:16 AM
सूर्यास्त - 6:28 PM
चन्द्रोदय - Sep 14 9:14 PM
चन्द्रास्त - Sep 15 10:42 AM
अभिजीत मुहूर्त इस दिन नहीं है।

14 सितंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 7:48 AM – 9:19 AM
कुलिक - 10:50 AM – 12:22 PM
दुर्मुहूर्त - 11:58 AM – 12:46 PM
वर्ज्यम् - 05:00 PM – 06:41 PM

भगवान शिव को प्रिय है त्रयोदशी तिथि 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें तेरहवीं तिथि बहुत खास होती है। इसे त्रयोदशी तिथि कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है, जिसका वर्णन धर्म ग्रंथों में मिलता है। इस तिथि पर कई विशेष व्रत-त्योहार भी मनाए जाते हैं।


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