सार

ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बनने वाले योग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें कुछ शुभ तो कुछ अशुभ होते हैं। शुभ योगों में से एक योग है शश।

उज्जैन. शश योग मुख्यत: कुंडली में शनि की विशेष स्थिति के कारण बनता है। यदि किसी कुंडली में लग्न से अथवा चंद्रमा से केंद्र के स्थानों में शनि स्थित हो। अर्थात शनि यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान में में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग का निर्माण होता है।

शश योग के लाभ
1.
जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में शश योग होता है उसे उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु, परिश्रमी स्वभाव, किसी भी बात का पूर्ण और सटीक विश्लेषण करने की क्षमता, सहनशीलता, छिपे हुए रहस्यों को जान लेने की क्षमता आदि प्रदान करता है।
2. जिस कुंडली में यह योग हो वह व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है। ऐसा व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है।
3. शश योग के प्रभाव से व्यक्ति सामाजिक जीवन में बड़ा प्रतिष्ठित पद हासिल करता है। राजा के समान उसका सम्मान किया जाता है।
4. कार्यक्षेत्र की बात की जाए तो शश योग वाले व्यक्ति बड़े सरकारी अफसर, अभियंता, जज, वकील बनते हैं।
5. इस योग वाले लोग भूमि, भवन संबंधी कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं। शराब के व्यापारी होते हैं। इनके एक से अधिक व्यापार होते हैं।
6. शश योग व्यक्ति को उच्च कोटि का आध्यात्मिक व्यक्तित्व प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति बड़ा आध्यात्मिक गुरु, योगाचार्य, प्रवचनकार, कथाकार, प्रेरक वक्ता बनता है।
7. ऐसे व्यक्ति को धन, संपत्ति, समृद्धि, प्रसिद्धि सहज ही प्राप्त हो जाती है।

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