सार

नोबेल विजेता ने भारत की डिजिटल क्रांति को प्रेरणादायक बताया, कहा दुनिया को इससे सीख लेनी चाहिए। UPI, DBT जैसी सेवाओं ने बड़ी सफलता पाई है और दूसरे देश भी इसका अनुसरण कर सकते हैं।

नई दिल्ली। भारत की डिजिटल क्रांति की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। लोग इसपर बात कर रहे हैं कि कैसे कम वक्त में भारत ने डिजिटल क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर ने इसे सबसे प्रेरणादायक और दिलचस्प सफलता की कहानियों में से एक बताया है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व शक्तियों के लिए एक नया मानक स्थापित किया है।

विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री प्रोफेसर पॉल ने कहा कि दुनिया को भारत की सफलता से सीख लेनी चाहिए। दक्षिण एशियाई देश भारत से सीखकर बड़ा फायदा ले सकते हैं। भारत की डिजिटल क्रांति लोगों का जीवन आसान बनाया है। इसने दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है।

बहुत दिलचस्प है भारत की डिजिटल क्रांति

प्रोफेसर पॉल ने कहा, "यहां डिजिटल क्रांति बहुत दिलचस्प है। इसका उपयोग सरकार द्वारा समाज के सभी सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। यह दुनिया के अधिकांश देशों से बहुत अलग है, जहां टारगेट केवल कुछ भाग्यशाली लाभार्थी होते हैं। भारत की कहानी अनूठी है। क्योंकि यह सभी को लाभ पहुंचा रहा है।"

उन्होंने कहा कि यूपीआई, डीबीटी, डिजिलॉकर्स जैसी ऑनलाइन सेवाओं ने बड़ी सफलता पाई है। दक्षिणी एशियाई देश भी इसे सीखकर अपने लिए ऐसी ही सफलता की कहानी लिख सकते हैं। उन्हें अमीर देशों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। उन्हें अपनी जमीनी हकीकत के आधार पर काम शुरू करना चाहिए।

प्रोफेसर पॉल ने कहा, "1980 के दशक में मैंने कहा था कि टेक्नोलॉजी में जीवन को बदलने वाली शक्ति है। यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। यह सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों में दिखाई दे रहा है। जब चीन किसी अन्य देश की तुलना में तेजी से आगे बढ़ा तो कुछ लोगों ने इसका श्रेय उसके आकार को दिया। हालांकि, लोकतंत्र में जो मायने रखता है वह है देश की क्षमता, उसकी महत्वाकांक्षा और लक्ष्य प्राप्ति की दूरदर्शिता।"

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