सार
Asianet News Hindi के विकास कुमार यादव ने यूपी के आजमगढ़ जिले के शिवनारायण से बात की। उन्होंने बताया कि शुरू में एक डर की वजह से वे संक्रमित हुए। इतना ही नहीं, कोरोना से ठीक हुए तो उनकी पूरी जीभ काली हो गई थी। जानते हैं उन्होंने करीब एक महीने तक कैसे कोविड-19 से लड़ाई लड़ी?
नई दिल्ली. कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर कम हो चुका है। ऐसे में दुकानें खुलने लगी हैं। लोग मास्क के साथ बाहर दिख रहे हैं। लेकिन ठीक एक महीना पहले देश में संक्रमण का डराने वाले हालात थे। हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल रहे थे। ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोग घंटों लाइन लगाकर इंतजार करते थे। इतनी दिक्कतों के बाद भी संक्रमित लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और कोरोना से लड़ते रहे और हराया भी। आज ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी बताते हैं जिन्होंने कोरोना से लड़ाई तो लड़ी ही, उसके बाद भी उन्हें बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
Asianet News Hindi के विकास कुमार यादव ने यूपी के आजमगढ़ जिले के शिवनारायण से बात की। उन्होंने बताया कि शुरू में एक डर की वजह से वे संक्रमित हुए। इतना ही नहीं, कोरोना से ठीक हुए तो उनकी पूरी जीभ काली हो गई थी। जानते हैं उन्होंने करीब एक महीने तक कैसे कोविड-19 से लड़ाई लड़ी?
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'कोरोना होने के डर से हॉस्पिटल नहीं गया'
मेरी उम्र करीब 60 साल है। दूसरी लहर में बहुत डरा हुआ था। हर रोज खबरें पढ़ता कि हॉस्पिटल में भीड़ लगी है। डॉक्टर्स की कमी है। इसी दौरान मुझे तीन दिन तक बुखार आता रहा। मैंने साधारण बुखार समझकर टाल दिया। मन के ये भी डर था कि डॉक्टर को दिखाने हॉस्पिटल गया तो वहीं से संक्रमित न हो जाऊं। इसी डर की वजह से तीन दिन तक डॉक्टर के पास नहीं गया।
'मेरे डर की वजह से ही मैं संक्रमित हुआ'
हॉस्पिटल न जाने के डर की वजह से ही मैंने कोरोना को गंभीर बना दिया। शुरू में ही दवा कर लेता तो कंट्रोल हो जाता। लेकिन मेरे डर की वजह से मैंने ऐसा नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि चौथे दिन से कोरोना के बाकी लक्षण भी दिखने लगे। सर्दी-खांसी आना और खाने की महक न आना। आखिर में डॉक्टर के पास गया।
'करीब 15 दिन घर पर रहकर दवा ली'
डॉक्टर ने तो पहले कई टेस्ट लिखे। कई की रिपोर्ट 4-5 दिन बाद आई। लेकिन तब तक डॉक्टर ने कोरोना की दवा शुरू कर दी थी। उनका मानना था कि ये कोरोना के ही लक्षण हैं। अगर रिपोर्ट का इंतजार किया तो केस और भी ज्यादा बिगड़ जाएगा। 5 दिन बाद जब रिपोर्ट आई तो उसमें भी कोरोना की पुष्टि हुई। करीब 15 दिन तक दवा ली। धीरे-धीरे कोरोना ठीक होने लगा। लेकिन कोरोना के ठीक होने के बाद एक और बड़ी समस्या हुई।
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'मेरी पूरी जीभ काली हो गई थी'
15 दिन बाद डॉक्टर ने कुछ दवाएं कम कर दीं। मैं भी अच्छा महसूस करने लगा था। लेकिन एक दिन देखा कि मेरी पूरी जीभ काली हो चुकी है। मैं तुरन्त जाकर ब्रश किया। लेकिन जीभ का रंग जस का तस बना हुआ था। मैं डर गया था कि कहीं ब्लैक फंगस तो नहीं हुआ है? मैं डॉक्टर के पास गया। उन्होंने पूरी जांच की। फिर कहा कि ये ब्लैक फंगस नहीं है। कुछ दवाएं खाने के बाद ऐसा हुआ है। कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा।
डॉक्टर की बात मानकर मैं घर आ गया। लेकिन मन में ब्लैक फंगस का डर बना हुआ था। ब्लैक फंगस का बारे में काफी कुछ पढ़ा। फिर समझ में आया कि मेरे में ब्लैक फंसग का कोई लक्षण नहीं हैं। सिर्फ जीभ ही काली हुई है। डॉक्टर के कहे मुताबिक, कुछ दिनों में जीभ का रंग पहले जैसा हो गया।
कोरोना में कभी न करें 3 गलती
कोरोना ऐसी बीमारी है कि अगर आम बीमारी की तरह इसका इलाज किया जाए तो बहुत आसानी से ठीक हो जाएंगे। मुझसे यही गलती हुई। मैंने इसे हव्वा बना लिया। ऐसे में मेरा यही सुझाव है कि कोरोना में कभी भी संक्रमण के डर से डॉक्टर के पास जाने से न डरे, क्योंकि डॉक्टर की सही दवा से ही ठीक हो सकते हैं। दूसरा, साधारण सर्दी-खांसी-बुखार को अनदेखा न करें। कुछ भी दिक्कत हो तो तुरन्त डॉक्टर से मिलिए। तीसरा, कोरोना है तो उसे छिपाए नहीं। आस-पड़ोस को बता दें, जिससे वे भी सतर्क रहें।
Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona