सार
राजस्थान के पूर्व उप सीएम सचिन पायलट ने हिमाचल प्रदेश में उम्मीद से बढ़कर काम किया और कांग्रेस को जीत दिला दी। इसके बाद राजस्थान में उनका सियासी कद बढ़ सकता है, क्योंकि पार्टी आलाकमान उनसे खुश है। वहीं सीएम गहलोत पिछली बार से कम सीटें दिला पाए।
जयपुर (jaipur). गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के अंतिम नतीजे गुरुवार देर शाम तक जारी हो चुके हैं। गुजरात में जहां भारतीय जनता पार्टी ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। हिमाचल प्रदेश में 5 साल बाद कांग्रेस अपनी सरकार बनाने जा रही है। यहां कांग्रेस को 40 सीट मिली है। जबकि भाजपा 25 पर ही सिमटकर रह गई है। अब इन दोनों चुनाव के परिणामों के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के पॉलिटिकल रोल पर भी असर पड़ा है। दोनों नेताओं का भविष्य इन्ही परिणामों के आधार पर तय होना माना जा रहा है।
सीएम गहलोत गुजरात में नहीं दिखा पाए कमाल
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने गुजरात के विधानसभा चुनावों को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वहां सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था। यहां मुख्यमंत्री गहलोत ने गली-गली और ढाणी ढाणी में जाकर प्रचार किया और केवल राजस्थान की ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम), मुफ्त दवाईयां, फ्री इलाज जैसी घोषणाओं के आधार पर वोटर्स को लुभाते रहे। और नतीजा यह निकला कि पार्टी को पिछली बार से भी कम सीटें मिल पाई।
विधायक पद पर होने के बाद भी सचिन पायलट ने हिमाचल में जीत दिलाई
वहीं केवल एक विधायक का पद होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट को हिमाचल प्रदेश में ऑब्जर्वर बनाया। पायलट वहां जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटे रहे। पायलट वहां के लोकल मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दे पर भी बोलते रहे। कोई भी पुरानी घोषणा या वादे को रिपीट नहीं किया। इसी का नतीजा रहा कि हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल बाद सरकार बदलने का ट्रेंड जारी रहा। अब वहां कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने जाएगी।
राजनीतिक जानकारों की माने तो राजस्थान में सरदारशहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कोई भी नेता का ज्यादा रोल नहीं रहा है। यहां पार्टी सिंपैथी के आधार पर ही जीत पाई है क्योंकि राजस्थान में अब तक कोई विधानसभा चुनाव में सिंपैथी कार्ड भी काम आया है। अब राजस्थान में जल्द ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत की भूमिका भी तय होने वाली है। क्योंकि नए राजस्थान प्रभारी पहले ही कह चुके हैं कि सुलह करनी ही होगी। यह भारत जोड़ो यात्रा के बाद होना तय माना जा रहा है।