Jawara Visarjan 2024: इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 9 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो चुका है। 17 अप्रैल को इसका समापन होगा। नवरात्रि के अगले दिन यानी दशमी तिथि को जवारे विसर्जन किए जाते हैं।
Baisakhi 2024: हर साल जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो पंजाब और इसके आस-पास के इलाकों में बैसाखी पर्व मनाया जाता है। ये सिक्खों का प्रमुख त्योहार है। इस बार बैसाखी पर्व 13 अप्रैल, शनिवार को है।
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के दौरान कुछ स्थानों पर देवी को बलि देने की परंपरा भी है। कुछ देवी मंदिरों में इस दौरान पशु बलि दी जाती है, वही कुछ मंदिरों में सात्विक बलि देने की परंपरा है।
Chaitra Navratri 2024 Skandmata: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी स्कंदमाता हैं। इनकी पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और मानसिक सुख-शांति का अनुभव भी होता है। इनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय हैं।
Chaitra Navratri 2024: इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है। धर्म ग्रंथों में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये दोनों नवरात्रि की अंतिम तिथियां होती है। इन तिथियों पर माता की विशेष पूजा, उपाय किए जाते हैं।
Premanand Maharaj of Vrindavan: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज ग्रंथों में लिखे गूड़ रहस्यों के बारे में भी लोगों के बताते हैं। इनके बारे में जानकर हर कोई आश्चर्य चकित रह जाता है। यही कारण है कि प्रतिदिन प्रेमानंद महाराज के पास हजारों लोग आते हैं।
Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म में छोटी लड़कियों को माता का स्वरूप माना जाता है। चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन की परंपरा भी है। नवरात्रि में कन्या पूजन खास तिथि पर किया जाता है और इस दौरान कईं बातों का भी ध्यान रखा जाता है।
Bhagwan Ram Ke Dhanush Ka Naam Kya Tha: इस बार राम नवमी का पर्व 17 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
Kab Hai Baisakhi 2024: हर साल अप्रैल महीने में बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। वैसे तो ये त्योहार सिक्खों का है, लेकिन पूरे देश में ये पर्व सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर मनाते हैं। बैसाखी पंजाब का लोक उत्सव है।
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि में हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा का विधान है। देवी के इन रूपों का अपना खास महत्व है। जानें चैत्र नवरात्रि 2024 के चौथे दिन देवी के किस रूप की पूजा करें?